मुंबई। इस हफ्ते रिलीज़ हुई है 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स', जिसके निर्देशक हैं आनंद एल राय। फिल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं, दोहरे किरदार में कंगना रानावत, आर माधवन, जिमी शेरगिल, दीपक डोबरियाल, स्वरा भास्कर, राजेंद्र गुप्ता, राजेश शर्मा, मोहम्मद ज़ीशान और एजाज़ ख़ान ने। वर्ष 2011 में आई 'तनु वेड्स मनु' में 'तनु' और 'मनु' की शादी हो जाती है, सो, 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' इसी फिल्म का सीक्वेल है, जिसकी कहानी शादी के चार साल बाद से आगे बढ़ती है, जहां 'तनु' और 'मनु' में आपसी झगड़े शुरू हो जाते हैं। दोनों के बीच का प्यार जैसे गायब हो जाता है और इन झगड़ों के कारण कुछ ऐसा होता है, जिसकी वजह से जन्म होता है 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' की कहानी का!
अब बात फिल्म की ख़ासियतों और ख़ामियों की। बहुत वक्त बाद यह लिखने का मौका मिल रहा है कि फिल्म में ख़ामियां बहुत कम हैं। फिर भी जो हैं, उनमें सबसे ऊपर आता है फिल्म के क्लाइमेक्स से करीब 15-20 मिनट पहले का हिस्सा। इस हिस्से में आया कमाल का ट्विस्ट अगर थोड़े वक्त बाद आता तो बेहतर होता, क्योकि दर्शक तब उत्साह से अंत तक पर्दे को निहारते रहते। इसके अलावा माधवन के दोस्त जस्सी की बहन की शादी का हिस्सा ज़रा खटकता है, क्योंकि उसका फिल्म की कहानी से बड़ा जुड़ाव नज़र नहीं आता, लेकिन अच्छी बात यह है कि यह हिस्सा कहानी को कमज़ार नहीं करता, क्योंकि फिल्म की रफ्तार कमाल की है, जिससे आपका मनोरंजन लगातार होता रहेगा। इसके अलावा 'ओल्ड स्कूल गर्ल' गाने में इस्तेमाल किए गए कुछ सीन्स थोड़े लंबे दिखते हैं, लेकिन मेरी नज़रों में आई ये ख़ामियां शायद आपके मनोरंजन की राह का रोड़ा न बनें।
अब बात ख़ूबियों की, जिनका इस फिल्म में अंबार है। बेहतरीन स्क्रीनप्ले और सीधी, सरल लेकिन मिठास ली हुई कहानी है 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स'। फिल्म के पीछे की मेहनत पर्दे पर भी दिखती है। ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि पहली फिल्म की सराहना हुई, महज़ इसलिए फिल्म का सीक्वेल बनाया गया है। कहानी बहुत खूबसूरती से गढ़ी गई है। फिल्म के किरदार ज़बरदस्त हैं। फिल्म देखने के बाद भी आपको फिल्म का हर एक किरदार याद रहेगा। हर किरदार का अपना अलग रंग है, जो शानदार ढंग से स्क्रीन पर उभरते हैं।
फिल्म की जान इसकी स्क्रिप्ट, यानि कहानी है। हिमांशु शर्मा ने जिस तरह कहानी को पिरोया है, वह काबिल-ए-तारीफ़ है। डायलॉग्स आपको मुस्कुराने पर मजबूर करेंगे। बात कानपुरिया, हरियाणवी लहजे की हो, या सड़कों से गली-मोहल्लों की, हर रंग लाजवाब है, जो दर्शकों को अपना-सा लगता है। स्क्रीनप्ले कमाल का है। हालांकि स्क्रीनप्ले की चंद ख़ामियों का ज़िक्र इस रीव्यू में पहले ही हो चुका है।
फिल्म के गीत पहले ही चार्टबस्टर हो चुके हैं, और हमारे दिलों में जगह बना चुके हैं। कपड़े, जगहें कुछ भी आपको नकली नहीं लगेगा। फिल्म की कहानी, किरदार सभी सुर में हैं।
अब अभिनय की बात करें तो कंगना को सलाम। कंगना के दो अलग-अलग किरदार हकीकत में अलग दिखते हैं। कंगना दो बिल्कुल अलग लड़कियां ही दिखती हैं, और यह बेजोड़ अदाकारी देखकर आपको उन्हें 'क्वीन' कहना ही पड़ेगा। वहीं माधवन और जिमी शेरगिल के कमाल का अभिनय आपको उनका फैन बनने पर मजबूर कर सकता है।
उधर, ज़ीशान, दीपक की अदाकारी भी आपको ज़बरदस्त लगेगी। इनके अलावा स्वरा, राजेश, ऐजाज़ सभी कलाकारों का फिल्म में सधा और मंझा हुआ अभिनय है। निर्देशक और लेखक ने बड़ी खूबसूरती से चंद सामाजिक समस्याओं को भी छुआ है, जो आपको फिल्म देखते वक्त महज़ ज्ञान नहीं लगेगा, क्योंकि इन उलझनों को पर्दे पर हंसी-ठहाकों के बीच रखा गया है।
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