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दिल्ली एयरपोर्ट पर खतरनाक रेडियोएक्टिव सोडियम आयोडाइड 131 लीक, हड़कंप

नई दिल्ली। दिल्ली एयरपोर्ट पर रेडियोएक्टिव पदार्थ के लीक होने से हड़कंप मच गया। एनडीआरएफ और वैज्ञानिकों की टीम तत्काल मौक़े पर पहुंची और लीकेज को और फैलने से रोक लिया गया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि लीकेज पर काबू पा लिया गया है। एयरपोर्ट पर विमानों की आवाजाही सामान्य रूप से जारी है। बताया गया है कि टर्किश एयरलाइंस के एक विमान से सोडियम आयोडीन की खेप आई थी, जो रेडियोएक्टिव पदार्थ है। एक निजी अस्पताल के लिए 10 कंटेनर रेडियोएक्टिव पदार्थ लाए गए थे, जिनमें से 4 में लीकेज हुई। सोडियम आयोडीन का इस्तेमाल कैंसर के इलाज में किया जाता है। यह लीकेज दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कार्गो एरिया में एक छोटे से हिस्से हुई, जिसे तत्काल ही सील कर दिया गया। दो कार्गो कर्मचारियों को अस्पताल ले जाया गया है। उन्होंने आंखों से पानी आने की शिकायत की थी।
क्या है रेडियोऐक्टिव पदार्थ सोडियम आयोडाइड 131 
दिल्ली एयरपोर्ट पर सुबह जिस रेडियोएक्टिव पदार्थ के लीक होने से हड़कंप मच गया था, क्या आप जानते हैं वह क्या था और कहां इस्तेमाल होता है? आइए जानें यह क्या है और इसे लेकर तुरत-फुरत कार्यवाही करने की जरूरत आखिर पड़ी क्यों? सोडियम आयोडाइट लिक्विड क्लास 7 का इस्तेमाल इलाज में होता है। इसका इस्तेमाल रेडियोथेरेपी में होता है। ट्यूमर को खत्म करने में इसका इस्तेमाल किया जाता है। कैंसर प्रभावित सेल्स को खत्म करने में इसका इस्तेमाल करते हैं। भारत के एटॉमिक एनर्जी रेग्युलेटरी बोर्ड (एईआरबी) के एक अधिकारी के मुताबिक, एयरपोर्ट पर लीक हुए इस रेडियोएक्टिव पदार्थ का नाम है, सोडियम आयोडाइड 131। चूंकि लीकेज कार्गो एरिया में एक छोटे से हिस्से हुआ और उसे तत्काल ही सील कर दिया गया, इसलिए ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। हालांकि दो कार्गो कर्मचारियों को अस्पताल ले जाया गया है, जिन्होंने आंखों से पानी आने की शिकायत की थी। सोडियम आयोडाइड 131 कथित तौर पर एक न्यूक्लियर मेडिसिन है। इसका इस्तेमाल कई बीमारियों जैसे कि हाइपरथाइरोएडिजम और थायरॉयड के कैंसर में होता है। दरअसल, इस पदार्थ को यदि प्रॉपर तरीके से सील करके न रखा जाए तो इससे लगातार निकलने वाला रेडिएशन कई तरह से खतरनाक साबित हो सकता है। यही वजह है कि हॉस्पिटल्स में हेल्थ वर्कर्स और पेशेंट्स पर इसका प्रतिकूल असर न पड़े इसके लिए पूरी एहतियात बरती जाती है। अगर ऐहतियात न बरती जाए तो इसके संपर्क में आने वाले अस्पतालों में काम करने वाले स्वास्थकर्मी और अन्य मरीजों को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। आरएमएल के अस्पताल के डॉक्टर वली के मुताबिक, जब ये पदार्थ इलाज में इस्तेमाल किए ही जाते हैं तो इसका मतलब है कि वे आम आदमी के लिए सुरक्षित हैं, लेकिन साथ ही, यह भी है कि फुलप्रूफ तरीके से लाया जाने वाला ये पदार्थ अगर लीक हुआ है तो यह ठीक तो नहीं है। इसका मतलब है कि असावधानी तो हुई ही है। इसका इस्तेमाल टेस्ट में होता है। गुर्दे और जिगर से यह निकल जाते हैं जिस दौरान ये टेस्ट में यूज किए जाते हैं। कार्गो एरिया से हमारे सहयोगी मुकेश सेंगर के मुताबिक, हालांकि यह लो-इंटेसिटी का बताया जा रहा है और इससे किसी को खतरा नहीं बताया गया है। इंपोर्ट एरिया 2 में लीकेज की खबर थी और इसे लेकर वैज्ञानिकों का कहना है खतरे की कोई बात नहीं है। एक कर्मी ने मुकेश सेंगर को बताया कि लोगों को खांसी और आंखों में जलन की शिकायत होने लगी थी। ताजा जानकारी के मुताबिक आपको बता दें कि तीन दिन तक इस रेडिएशन की चपेट में आए लोगों को मॉनिटर किया जाएगा। सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर रेडियोएक्टिव पदार्थ के लीक होने से हड़कंप मच गया। NDRF और वैज्ञानिकों की टीम तत्काल मौक़े पर पहुंची और लीकेज को और फैलने से रोक लिया गया। बताया गया है कि टर्किश एयरलाइंस के एक विमान से सोडियम आयोडीन की खेप आई थी, जो रेडियोएक्टिव पदार्थ है। एक निजी अस्पताल के लिए 10 कंटेनर रेडियोएक्टिव पदार्थ लाए गए थे, जिनमें से 4 में लीकेज हुई थी। (साभार)
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