नई दिल्ली। अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस पावर ने कहा कि उसने भूमि अधिग्रहण में अत्यंत विलंब के चलते झारखंड में 36,000 करोड़ रुपये की तिलैया अति वृहद बिजली परियोजना (यूएमपीपी) के लिए ठेका खत्म कर दिया है। कंपनी ने 1.77 रुपये प्रति यूनिट की बिजली दर की बोली लगाकर झारखंड के हजारीबाग में 3,960 मेगावाट बिजली संयंत्र स्थापित करने का अधिकार अगस्त, 2009 में हासिल किया था, लेकिन कंपनी परियोजना पर काम शुरू नहीं कर सकी क्योंकि राज्य सरकार ने पांच साल बाद भी आवश्यक भूमि उपलब्ध नहीं कराई। कंपनी ने कहा कि रिलायंस पावर की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी झारखंड इंटीग्रेटेड पावर लिमिटेड ने हजारीबाग जिले में अपनी 3,960 मेगावाट की तिलैया अति वृहद बिजली परियोजना का बिजली खरीद समझौता (पीपीए) खत्म कर दिया है। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए स्थापित विशेष कंपनी झारखंड इंटीग्रेटेड पावर ने 10 राज्यों में 25 वर्षों के लिए 18 बिजली क्रेताओं के साथ पीपीए पर हस्ताक्षर किया था। परियोजना निजी कोयला ब्लाकों पर आधारित थी जिसके लिए कोयला केरेन्दरी बीसी कोयला खान ब्लॉक से खरीदा जाना था। परियोजना के लिए कुल 17,000 एकड़ भूमि की जरूरत थी।
बिजली संयंत्र, निजी कोयला ब्लॉकों एवं संबद्ध ढांचागत सुविधाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण में पांच साल से भी ज्यादा विलंब किया गया है। पीपीए के तहत जमीन उपलब्ध कराने वालों को फरवरी, 2010 तक भूमि उपलब्ध कराने एवं अन्य मंजूरियां उपलब्ध कराने की जरूरत थी। हालांकि, आवश्यक भूमि अभी तक नहीं मिली है। बिजली घर क्षेत्र में वन भूमि जिसके लिए केंद्र सरकार ने नवंबर, 2010 में ही द्वितीय चरण की वन मंजूरी दी थी, अभी तक झारखंड इंटीग्रेटेड पावर को नहीं मिली है। कंपनी ने कहा कि जहां तक कोयला ब्लॉक का संबंध है, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की गई है जिसके लिए आवेदन फरवरी, 2009 में ही जमा कर दिया गया था। 25 से अधिक समीक्षा बैठकें किए जाने एवं राज्य सरकार के साथ व्यापक व सतत रूप से इसे आगे बढ़ाने के लिए लगे रहने के बावजूद भूमि उपलब्ध नहीं कराई गई है। भूमि उपलब्ध कराने की प्रक्रिया के मौजूदा अनुमान को देखते हुए परियोजना 2023-24 से पहले पूरी नहीं की जा सकती। इस परियोजना को खत्म करने के साथ रिलायंस पावर का भावी पूंजीगत खर्च 36,000 करोड़ रुपये तक घट गया है। इससे पहले कंपनी ने मध्य प्रदेश में अपनी 3,960 मेगावाट की सासन अति वृहद बिजली परियोजना पीपीए के कार्यक्रम से 12 महीने पहले ही स्थापित कर ली थी। इस परियोजना पर 27,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ। कंपनी ने उत्तर प्रदेश में 1,200 मेगावाट की रोसा बिजली परियोजना, महाराष्ट्र में 600 मेगावाट की बुटीबोरी बिजली परियोजना और राजस्थान व महाराष्ट्र में 185 मेगावाट की सौर व पवन ऊर्जा परियोजनाएं भी चालू की हैं। (साभार)
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।