नई दिल्ली। देश में व्याप्त वित्तीय छुआछूत को समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार ने प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) की शुरुआत कर दी है। यह दुनिया का सबसे बड़ा बैंकिंग अभियान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इस योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि देश को गरीबी से मुक्त करने के लिए आर्थिक छुआछूत को मिटाना जरूरी है। गरीबों को साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने के लिए प्रत्येक परिवार में एक बैंक खाते के साथ उन्हें बैंकिंग तंत्र से जोड़ा जाना आवश्यक है। पहले ही दिन 1.5 करोड़ लोगों के बैंक खाते खुले। हर खाते के साथ खाताधारक का एक लाख रुपये का दुर्घटना बीमा भी किया गया है। यह भी आर्थिक जगत में एक रिकॉर्ड है।
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर योजना के तहत 26 जनवरी, 2015 से पूर्व बैंक खाता खुलवाने वालों को एक लाख रुपये के दुर्घटना बीमा के साथ ही 30,000 रुपये का जीवन बीमा देने की घोषणा भी की। बैंक खाते के जरिये गरीबी मिटाने का मंत्र देते हुए मोदी ने कहा कि जब कोई व्यक्ति बैंक में खाता खोलता है तो अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जुड़ने का पहला कदम बढ़ाता है। 'जन धन योजना शुरू होने के साथ आज 1.5 करोड़ लोग अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए पहला कदम रख रहे हैं।'
साल 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ था, लेकिन आजादी के 68 साल बाद भी 68 प्रतिशत लोगों के पास भी बैंक का खाता नहीं है। इससे लगता है कि जिस मकसद से यह काम शुरू हुआ था, वह वहीं का वहीं रह गया। प्रधानमंत्री के राजधानी में इस योजना के शुभारंभ के साथ-साथ पूरे देश में 20 मुख्यमंत्रियों ने एक साथ इस योजना की शुरुआत की। कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने भी अपने अपने क्षेत्रों में इस योजना को लांच किया। इस मौके पर देश में 600 समारोह आयोजित किए गए और 77,852 शिविर लगाए गए। प्रधानमंत्री ने गरीबी के खिलाफ लड़ाई को अहम बताते हुए कहा कि इस लड़ाई में अर्थव्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण इकाई है। आज भी बहुत से लोग बैंकिंग तंत्र से नहीं जुड़े हैं। इस तरह ये लोग आर्थिक तंत्र से अछूते हैं। अगर हमें गरीबी से मुक्ति पानी है तो हमें इस छूआछूत को मिटाना होगा। प्रधानमंत्री जन धन योजना यह काम करेगी। पीएमजेडीवाई अमीर और गरीब के बीच खाई को पाटने का एक मिशन है। यहीं से गरीबों की जिंदगी का सूर्योदय हो रहा है। बैंकों से मिलने वाले कर्ज की विडंबना को भी मोदी ने सामने रखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का अमीर व्यक्ति कम से कम ब्याज पर कर्ज पा सकता है। बैंक उसके द्वार पर कतार लगाकर खड़े होते हैं। लेकिन जो गरीब है, जिसे कम से कम ब्याज पर कर्ज मिलना चाहिए उसे अमीर से पांच गुना ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेना पड़ता है। गरीबों को साहूकार के विषचक्र से आजादी दिलाने की जरूरत है। साहूकारों के इस दुष्चक्र में फंसने पर गरीब आत्महत्या को मजबूर होता है। यह गरीबों को साहूकारों के इस विषचक्र से आजादी दिलाने का पर्व है। मोदी ने इशारे-इशारे में ही बैंकों का कर्ज न चुकाने वाले बड़ी कंपनियों को परोक्ष रूप से आगाह किया। कहा कि गरीब 99 प्रतिशत पैसा चुका देता है। महिलाएं 100 प्रतिशत कर्ज चुकाती हैं। लेकिन बड़े-बड़े लोग क्या कर रहे हैं, हमें मालूम है।
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