नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने जजों की नियुक्ति में सीनियर ऐडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम की अनदेखी करने पर सरकार की आलोचना की है। लोढ़ा ने कहा है कि सरकार ने उन्हें जानकारी दिए बिना यह फैसला लिया। लोढ़ा के इस कॉमेंट के बाद सरकार ने मंगलवार रात सफाई देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति के लिए सुब्रमण्यम के मामले को इसलिए नहीं आगे बढ़ाया गया, क्योंकि उन्होंने खुद सत्यापन की प्रक्रिया के दौरान अपना नाम वापस ले लिया था। चीफ जस्टिस ने इस मामले को न्यायपालिका की आजादी से जोड़ते हुए कहा, 'न्यायपालिका की आजादी के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।' हालांकि उन्होंने इस बात पर भी निराशा जाहिर की कि जब वह विदेश में थे तो सुब्रमण्यम ने अपनी शिकायत सार्वजनिक कर दी।
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम की सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश की गई थी, लेकिन उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था। इस बारे में सुब्रमण्यम ने चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर कहा था कि जज के तौर पर मेरी नियुक्ति की सिफारिश को वापस ले लिया जाए। 56 वर्षीय सुब्रमण्यम यूपीए सरकार में सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। एनडीए सरकार ने जजों की नियुक्ति करने वाले कॉलेजियम को लिखा था कि सुब्रमण्यम की सिफारिश पर फिर से विचार करें। इस बात पर सुब्रमण्यम काफी नाराज थे और उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में उनकी भूमिका के चलते ऐसा किया जा रहा है।
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