लखनऊ। सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन और संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का प्राविधान है। किन्तु मर्यादा तोड़कर की गई कोई भी कार्यवाही उचित नहीं ठहराई जा सकती है। इन दिनों उत्तर प्रदेश में कुछ दलों और संगठनों ने समाजवादी सरकार की खिलाफत को अपना मुख्य उद्देश्य बना लिया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव प्रदेश को प्रगति की ओर ले जाने के लिए जितना संकल्पित हैं दूसरे दल उनके विकास एजेण्डा को विफल करने की साजिशों में उतने ही सक्रिय हैं। जनता इन चालों को बखूबी समझती है और वह इनका करारा जवाब देना भी जानती है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की शालीनता और विनम्रता की प्रशंसा तो विपक्षी नेता भी करते हैं। मुख्यमंत्री जी अत्यन्त संवेदनशील नेता हैं। चाहे बदायूं काण्ड हो या मोहनलालगंज काण्ड मुख्यमंत्री ने घटना की सूचना मिलते ही त्वरित कार्यवाही की। अधिकारियों को सक्रिय एवं सतर्क किया। पीड़ितों की मदद की और दोषियों को गिरफ्तार कराया। मुख्यमंत्री बराबर इस बात पर जोर देते हैं कि दोषियों को किसी हालत में बख्शा न जाए और किसी निर्दोश को व्यर्थ सताया नहीं जाना चाहिए।
विडबंना है कि मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता और अपराधिक घटनाओं के प्रति उनके कठोर रूख के बावजूद राजधानी में कुछ लोग अपने प्रदर्शनों से ऐसा संकेत देते हैं कि जैसे पीड़ितों की सुनवाई नहीं हो रही है जबकि तथ्य इसके बिल्कुल विपरीत हैं। सपा सरकार ने किसी मामले में कहीं ढिलाई बरती होती तो इन प्रदर्शनों का कोई औचित्य होता लेकिन ये तो बिना किसी ठोस कारण के विरोध करते हैं। प्रदेश में विकास की गाड़ी को पटरी से उतारने के लिए कुछ सांप्रदायिक तत्व भी इन दिनों फिर सक्रिय हो गए हैं। वे व्यर्थ विवाद पैदा करना चाहते हैं। उन्हें आम जनता की सुख शांति एवं सुरक्षा पसंद नही। विहिप के एक नेता ने जिन शब्दों में अल्पसंख्यक वर्ग को धमकी दी है उससे यही लगता है कि वे दूसरा गोधरा रचने की साजिश में लग गए हैं अपनी भड़ास निकालते वक्त वे यह भी भूल गए कि यहां कानून का राज चलता है। यहां समाज को तोड़नेवाली ताकतों का कोई भविष्य नहीं है जो लोग सांप्रदायिक विषवमन कर रहे हैं वे इस देश की एकता अखण्डता और सामाजिक सद्भाव के दुश्मन है। उनको जनता ने न कभी महत्व दिया है और नहीं उनका कोई भविष्य है।
भाजपा को झटका
जनपद बलरामपुर में नगरपालिका परिषद बलरामपुर के अध्यक्ष पद के उपचुनाव में सपा की प्रत्याशी इशरत जमाल को 19 हजार मत मिले। उन्होने भाजपा के प्रत्याशी केबी शुक्ला को 7 हजार मत के अन्तर से पराजित किया। इस उपचुनाव के नतीजे से स्पष्ट है कि सपा की सरकार व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की लोकप्रियता सशक्त हुई है। प्रदेश में भाजपा के प्रति जनता में कोई झुकाव नहीं है। भाजपा प्रत्याशी की हार से सांप्रदायिक ताकतो का असली चेहरा जनता के सामने आ गया है।
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