अवनीश मिश्र, फैजाबाद। डा.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय परिसर में अराजकतत्वों के प्रवेश पर रोकथाम व बिना काम के घूमने वालों के खिलाफ दो दिन पूर्व बनाया गया नियम शनिवार को विवाद का कारण बन गया। नियमानुसार विवि के प्रवेश द्वार पर सुरक्षा गार्डों ने आवासीय परिसर के पूर्व शिक्षक डा.विनोद चौधरी से पहचान पत्र दिखाकर अन्दर जाने की बात कही, जो डा.चौधरी को नागवार गुजरी और उन्होंने इसका विरोध किया। इस पर सुरक्षा गार्डों ने अपने सुपरवाइजर को बुला लिया। सुपरवाइजर ने भी डा.चौधरी से पहचान पत्र की मांग की और बात बढ़ गयी। डा.चौधरी ने फोन कर कला संकायाध्यक्ष प्रो.अजय प्रताप सिंह तथा सुपरवाइजर ने चीफ प्राक्टर डा.एमपी सिंह को बुला लिया। आनन-फानन में चीफ प्राक्टर और कला संकायाध्यक्ष वहां पहुंचे व दोनों में नोंकझोंक शुरू हो गयी। धक्का-मुक्की होने लगी। हालांकि वहां मौजूद अन्य शिक्षकों ने बीचबचाव करके उन्हें अलग किया। घटना की सूचना चीफ प्राक्टर डा.एमपी सिंह ने पुलिस को दिया। मौके पर पहुंचे नगर कोतवाल शैलेन्द्र सिंह ने दोनों पक्षों की बात सुनीं और तहरीर लेकर न्यायसंगत कार्रवाई करने की बात कही। इस दौरान विवि परिसर में कई पुलिस चौकियों के प्रभारी व सिपाही तैनात रहे। सिटी मजिस्ट्रेट आरएस पाण्डेय ने भी विवि जाकर स्थिति जानी।
घटना के संबंध में चीफ प्राक्टर डा.एमपी सिंह ने बताया कि डा.चौधरी विवि में बनाये गये व्यवस्था को तोड़ रहे थे, मना करने पर सुरक्षा गार्डों से दुर्व्यवहार किया और उनके समर्थन में पहुंचे अन्य शिक्षकों ने धक्का-मुक्की किया। उनके खिलाफ तहरीर दी गयी है। चीफ प्राक्टर डा.एमपी सिंह ने स्पष्ट कहा कि विवि में बनाये नियम को तोड़ने वाले को बख्शा नहीं जायेगा, वह चाहे जो भी हो। दूसरी ओर से डा.चौधरी ने पुलिस में तहरीर देकर चीफ प्राक्टर एमपी सिंह पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि सुबह से ही सुरक्षा गार्ड उन्हें विवि परिसर में प्रवेश से रोकने के फिराक में थे। परिसर में प्रवेश के समय उन्हें रोका और कारण पूछने पर गार्डों व मौके पर आये चीफ प्राक्टर डा.एमपी सिंह ने दुर्व्यवहार किया। कला संकायाध्यक्ष प्रो. अजय प्रताप सिंह ने बताया कि विवि सार्वजनिक स्थल है, यहां आने-जाने से किसी को रोका नहीं जा सकता है। विवि से सम्बद्ध तमाम कालेजों के शिक्षक, प्रबन्धक, कर्मचारी, विद्यार्थी और उनके अभिभावक कार्यवश आते-जाते रहते हैं। यह नियम सही नहीं है। डा. चौधरी विवि के शिक्षक रह चुके हैं, जब पता चला कि उन्हें सुरक्षा गार्डों ने रोका है, तो उन्हें समझाने मैं मौके पर गया था। डा. चौधरी ने अपनी तैनाती हेतु हाई कोर्ट में वाद दायर किया था, जिसमें कोर्ट ने विवि से उनकी पुनः तैनाती देने का आदेश है। वह शिक्षक हैं न कि अराजकतत्व। शिक्षकों के साथ यह दुव्र्यवहार बर्दास्त नहीं किया जायेगा।
शिक्षकों ने फिर गिराई अवध विवि की गरिमा
डा.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में गत कई माह से चल रहा शीतयुद्ध आज सतह पर आ गया। विवि के शिक्षक शिक्षा के मंदिर में अध्ययन और अध्यापन को छोड़कर वर्चस्व की लड़ाई में शामिल हो गये हैं। शिक्षकों के बीच हाथापाई और धक्कामुक्की का यह कोई पहला या नया मामला नहीं है। ऐसा तो कई बार हो चुका है। अभी हाल के माह में मुख्य परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के समय भी शिक्षकों में मारपीट हुई थी। उस मामले में तो दो चक्रों में बवाल हुआ था। पहले दिन कामता प्रसाद सुन्दर लाल साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय अयोध्या के शिक्षक डा. एसपी सिंह और डा. प्रदीप सिंह ने मूल्यांकन समन्वयक डा. एसपी तिवारी के साथ मारपीट व गाली-गलौज किया था। उसके के दो-तीन दिन बाद मूल्यांकन कर रहे शिक्षकों ने पुनः बवाल काटा था और मौके पर पहुंचे परीक्षा नियंत्रक व रजिस्ट्रार के साथ भी बदसलूकी किया था। उसके बाद विवि में काफी तनातनी का माहौल बना रहा, जो शनिवार खुल कर सामने आ गया। विवि के चीफ प्राक्टर डा. एमपी सिंह और कला संकायाध्यक्ष प्रो. अजय प्रताप सिंह के बीच धक्का-मुक्की और मारपीट हो गयी। इसके पीछे विवि में वर्चस्व कायम रखना बताया जा रहा है। लोगों में चर्चा है कि विवि में आये दिन शिक्षकों के बीच गुटबाजी बढ़ रही है और मारपीट जैसी शर्मनाक घटनायंे घटित हो रहीं हैं। विवि के मुखिया यानी कुलपति प्रो.जीसीआर जायसवाल ऐसी घटनाओं को रोकने में रूचि नहीं ले रहे हैं। विवि में छात्रों का बवाल होना, तो लाजिमी है, लेकिन गुरूजनों में असंतोष व गुटबाजी विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस पहुंचा रहा है। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर का कहना है कि कुलपति इस गुटबाजी को दूर कर सकते हैं, इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति और साफ मन की जरूरत है। लोगों की माने तो यही हालात रहा, तो आने वाले समय में यह गुटबाजी और वर्चस्व की लड़ाई और भी बढ़ेगी। परिणाम स्वरूप विवि की गरिमा का गिराना लाजिमी है।
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