लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि सामान्यतया बजट पेश होने पर कराधान की घोषणाएं होती हैं। केन्द्र सरकार ने बजट से पहले ही कई आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ाकर जनता के विश्वास को तोड़ा है। इससे घरेलू अर्थव्यवस्था पूरी तरह डांवाडोल हो गई है। इसके विपरीत केन्द्रीय वित्तमंत्री की ताजा घोषणाओं से जाहिर हो गया है कि भाजपा की यह सरकार भी कांग्रेस की यूपीए सरकार की तरह सम्पन्न लोगों की ही हितचिंता करनेवाली है।
केन्द्रीय वित्तमंत्री का कहना है कि अर्थव्यवस्था को देखते हुए अभी राजस्व में नुकसान बहुत छोटा मुद्दा है। लेकिन जब सवाल किसान या साधारण जन का हो तो राजस्व क्षति एक बड़ा मुद्दा बन जाता है। यह इसी से स्पष्ट है कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करते हुए धान की फसल के लिए 1360 रूपए प्रति कुंतल एमएसपी रखा है जबकि मक्का एवं बाजरा जैसे मोटे अनाज की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं की गई है। धान की एमएसपी में महज 50 रूपए की वृद्धि का कोई फायदा किसानों को मिलनेवाला नहीं है। किसान को खेती में लगातार घाटा हो रहा है और उसे फसल की लागत के बराबर भी मूल्य नहीं मिल रहा है। जबकि खेती के काम में आनेवाली सभी चीजों मसलन डीजल, खाद, बीज, बिजली सभी के दाम बढ़ चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के किसान जिस आर्थिक तंगी से गुजर रहे है उसे देखते हुए केन्द्र सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। किसान को लाभकारी मूल्य नहीं मिलने से खेती का क्षेत्रफल लगातार सिकुंडता जा रहा है जिससे आगे चलकर खाद्य संकट भी पैदा हो सकता हैं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख श्री मुलायम सिंह यादव का मानना है कि किसान की खुशहाली से ही देश में खुशहाली आ सकती है। इसीलिए उसको फसल की लागत का डयोढ़ा और उसके श्रम को भी जोड़कर मूल्य दिया जाना चाहिए। वस्तुतः पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने 1978 में केन्द्र में वित्तमंत्री रहते किसान और गांव के हित में 70 प्रतिशत बजट रखा था। उत्तर प्रदेश में श्री मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होने भी 1990 में बजट की 70 प्रतिशत राशि गांवो के लिए रखी थी। अब मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने वर्ष 2014-15 के बजट की 75 प्रतिशत धनराशि गांव-गरीब और किसान के लाभार्थ रखी है। समाजवादी सरकार ने गांवो में बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के साथ कृषि एवं संबद्ध सेवाओं के लिए 7625 करोड़ रूपए की व्यवस्था की है। वर्तमान केन्द्र सरकार को अपनी अर्थनीति की प्राथमिकता घोषित करनी चाहिए कि उनकी दिशा गांव के लिए है अथवा शहरी सम्पन्न पूंजीपतियों के लिए है।
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