ताज़ा ख़बर

न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने सहारा मामले की सुनवाई से मना किया, दबाव डालने का लगाया आरोप

नई दिल्ली। सहारा समूह के मामले में अचानक रोचक मोड़ आ गया। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जेएस खेहर ने सहारा मामले से खुद को अलग कर लिया है। अब सहारा मामले पर सुनवाई करने के लिए नई बेंच का गठन किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के डिप्टीा रजिस्ट्रार राकेश शर्मा ने बताया कि जस्टिस जेएस खेहर ने 6 मई 2014 को इस मामले से खुद हटने का आवेदन किया था, जिसे 7 मई को मुख्य् न्याियाधीश ने स्वीकार कर सहारा समूह के मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन करने के निर्देश दिए थे। सुब्रत सहारा केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ऑर्डर में यह पहले ही कहा गया था कि सहारा ने जजों की निष्ठा पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के इस रवैये पर कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए कोर्ट ने सहारा समूह पर तीखी टिप्पणी भी की थी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह से बेंच को प्रभावित करने का काम बहुत ही गलत है और इस तरह की गतिविधियों पर निचली अदालतों को भी सख्त रुख अपनाना चाहिए। पिछली सुनवाई में सहारा की नीयत पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर सुब्रत सहारा सही मायने में पैसे लौटाना चाहते तो वो बहुत ही आसानी से अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा बेचकर कोर्ट के द्वारा निर्धारित रकम लौटा सकते थे। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि सहारा की ऑफिशियल वेबसाइट पर सहारा ग्रुप की कुल संपत्ति 68,174 करोड़ रुपए है, जबकि ग्रुप के पास कुल 36,631 एकड़ जमीन है। इस तरह कुल मिलाकर सहारा समूह की संपत्तियां और संभावित कमाई 1,52,518 करोड़ रुपए बनती है। सहारा ग्रुप के लंदन और न्यूयॉर्क में जो प्रीमियम होटल हैं, उनकी कुल कीमत भी हजारों करोड़ है। कोर्ट ने 31.08.2012 और 05.12.2012 को दिए आदेश में सहारा की दोनों कंपनियों को निवेशकों का पैसा लौटाने को कहा था, लेकिन इसके बावजूद दोनों कंपनियों ने निवेशकों का पैसा नहीं लौटाया। कोर्ट का यह मानना है कि सहारा के पास पैसा है, लेकिन उसकी नीयत ही पैसा लौटाने की नहीं है। (साभार)
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।

Item Reviewed: न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने सहारा मामले की सुनवाई से मना किया, दबाव डालने का लगाया आरोप Rating: 5 Reviewed By: newsforall.in