लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि कारपोरेट घरानों और मीडिया मुगलों के एक वर्ग की साठगांठ से लोकसभा के चुनावो के नतीजों को प्रभावित करने की साजिशें हुई तो बहुत ही सुनियोजित और संगठित तरीके से लेकिन अब दो दिन बाद 16 मई को जब जनता का निर्णय आएगा तो दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जाएगा। इनके द्वारा जिस भाजपा को केन्द्र की सत्ता में पहुंचाया जा रहा है उसका नेतृत्व स्वयं भी सर्वेक्षणों के आंकड़ों पर विश्वास नहीं कर पा रहा है। इसलिए वह सहयोगी दलों की तलाश में जुट गया है। भाजपा के लिए दिल्ली का छींका न टूटे तो कुछ अस्वाभाविक नहीं होगा।
अपने बड़बोलेपन के लिए मशहूर मोदी के साथी अमित शाह उत्तर प्रदेश में चुनाव के समय ही रहे हैं पर ऐसा जताते हैं जैसे वे उत्तर प्रदेश की राजनीति के बहुत बड़े जानकार हो गए हों। उत्तर प्रदेश में वे बसपा को दूसरे नम्बर पर बताकर इस बात को ही चरितार्थ कर रहे हैं कि भाजपा-बसपा दोनों में मिलीभगत है। बसपा के वोटों के भाजपा के पक्ष में जाने की खबरें ऐसे ही नहीं चली हैं। वैसे भी भाजपा ने तीन बार सुश्री मायावती की सरकारें बनवाई हैं और बसपा अध्यक्षा ने भी गुजरात जाकर नरेन्द्र मोदी के पक्ष में प्रचार किया हैं। समाजवादी पार्टी तो भाजपा की सांप्रदायिकता और बसपा के कुशासन के खिलाफ हमेशा संघर्षरत रही है। समाजवादी पार्टी को जब प्रचंड जनादेश से उत्तर प्रदेश में सत्ता मिली तो सबसे ज्यादा चिढ़ बसपा को ही हुई मुजफ्फरनगर में जो घटना घटी उसके पीछे भाजपा और बसपा के हाथ से इंकार नहीं किया जा सकता। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा-बसपा के साथ कांग्रेस ने एक सुर में समाजवादी पार्टी का विरोध किया और झूठी अफवाहें फैलाकर लोगों को बहकाने का काम किया। इस सबके बावजूद नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव की रैलियों में उमड़ी जनता ने समाजवादी पार्टी के प्रति भरोसा जताया है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार ने जनहित की योजनाओं को अमली जामा पहनाया जिससे समाज का हर वर्ग बिना किसी भेदभाव के लाभान्वित हुआ है।
16 मई को लोकसभा चुनाव का परिणाम आने से पहले थोथी कयासबाजी में जनता की कोई रूचि नहीं रही है। भाजपा अपनी हार और तीसरी ताकतों के केन्द्र में आने की आशंका से डरी हुई है। चुनाव के छह चरण प्रदेश में शांति से सम्पन्न हो गए। अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को चुनाव परिणाम आने के दिन न जाने कहां से गड़बड़ी का खतरा नजर आने लगा हैं। वे वस्तुतः खीझे हुए लोग हैं जिन्हें जनता से मिलनेवाली सम्भावित करारी हार से अपना ही संतुलन बिगड़ने का डर है। उत्तर प्रदेष की समाजवादी सरकार सिरफिरे लोगों का इलाज करना अच्छी तरह जानती है। कहीं भी किसी स्तर पर किसी को कानून की अवज्ञा करने और षांति भंग करने की इजाजत नहीं मिलेगी।
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