वाराणसी। बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी को वाराणसी में रैली की इजाजत न देने के बाद आईएएस अधिकारी प्रांजल यादव चर्चा में हैं। आईएएस के तौर पर प्रांजल यादव का ट्रैक रिकॉर्ड साफ-सुधरा रहा है। काशी में ट्रैफिक की समस्या से निपटने की कोशिशों समेत अपने कामों के लिए वह इलाके में काफी पॉप्युलर रहे हैं। लेकिन मोदी को रैली की इजाजत न देने के बाद से उन्हें उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से उनके रिश्ते को लेकर घेरा जा रहा है। काशी में मोदी समर्थकों ने कई जगहों पर पोस्टर लगाए हैं, जिसमें उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं। सोशल मीडिया में वायरल हुई एक तस्वीर में प्रांजल यादव को मुलायम सिंह के चचेरे भाई का बेटा बताया गया है। चुनाव आयोग पर प्रांजल को तुरंत हटाने के लिए प्रेशर बढ़ाने के लिए इन तस्वीरों को तेजी से फैलाने को कहा जा रहा है। बीजेपी नेता अरुण जेटली और मोदी के करीबी अमित शाह भी प्रांजल की भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने प्रांजल को तुरंत हटाने की मांग की है।
काशी में प्रांजल यादव की नियुक्ति 3 फरवरी 2013 को हुई थी और तब से वह यादव इस शहर की बड़ी समस्या ट्रैफिक जाम से निपटने की कोशिश में जुटे हैं। बेलगाम ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए उन्होंने डिवाइडर बनाए। शहर में यूपी कॉलेज के पास भोजूबीर इलाके, रथयात्रा महमूरगंज और मड़ुआडीह जैसी व्यस्त रूट वाली सड़कों को उन्होंने चौड़ा करने का काम किया है और इससे ट्रैफिक जाम से काफी हद तक राहत मिली है। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के प्रफेसर दिनेश सी राय ने कहा कि प्रांजल को वाराणसी का सांसद बनना चाहिए। उन्होंने बताया, 'उन्होंने काफी बढ़िया काम किया है। यादव ने वाराणसी की कई समस्याओं को दुरुस्त करने के लिए इच्छाशक्ति दिखाई है।' 34 साल के प्रांजल यादव ने आईआईटी रुड़की से पढ़ाई की है और जिस तरह उन्होंने सड़कों पर अवैध कब्जे के खिलाफ काम किया है, उसके लिए वाराणसी में उन्हें काफी तारीफ हासिल हुई है। यादव ने बताया, 'हमने मध्यरात्रि से सुबह के 3 बजे तक बिल्डिंग ढहाने का काम किया है। इस दौरान विरोध काफी कम हुआ, क्योंकि लोग सोए हुए थे।'
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