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मेरी जिंदगी और मेरा कार्यकाल खुली किताब की तरह : मनमोहन

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पद छोड़ने से पहले राष्ट्र के नाम अपने अंतिम संबोधन में कहा, प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए मेरी जिंदगी और मेरा कार्यकाल एक खुली किताब की तरह हैं। मैंने हमेशा इस महान देश को अपना सर्वश्रेष्ठ देने का हरसंभव प्रयास किया। मनमोहन सिंह ने कहा, मैं आने वाली सरकार को हर प्रकार की सफलता के लिए शुभकामना देता हूं। पिछले 10 साल में भारत ने कई ऐसी सफलताएं और उपलब्धियां हासिल कीं, जिन पर हमें गर्व होना चाहिए। मनमोहन ने कहा, पिछले 10 सालों के दौरान हमने बहुत सी सफलताएं और उपलब्धियां हासिल की हैं जिन पर हमें गर्व है। आज हमारा देश हर मायने में दस साल पहले के भारत से कहीं ज्य़ादा मजबूत है। देश की सफलताओं का श्रेय मैं आप सबको देता हूं। लेकिन अभी भी हमारे देश में विकास की बहुत सी संभावनाएं हैं, जिनका फायदा उठाने के लिए हमें एकजुट होकर कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। मनमोहन ने कहा, प्रधानमंत्री का पद छोड़ने के बाद भी आपके प्यार और मोहब्बत की याद हमेशा मेरे जहन में ताजा रहेगी। मुझे जो कुछ भी मिला है, इस देश से ही मिला है। एक ऐसा देश जिसने बंटवारे के कारण बेघर हुए एक बच्चे को इतने ऊंचे पद तक पहुंचा दिया। यह एक ऐसा कर्ज है, जिसे मैं कभी अदा नहीं कर सकता। यह एक ऐसा सम्मान भी है, जिस पर मुझे हमेशा गर्व रहेगा। उन्होंने आगे कहा, मुझे भारत के भविष्य के बारे में पूरा इत्मीनान है। मुझे पक्का विश्वास है कि वह समय आ गया है जब भारत दुनिया की बदलती हुई अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरेगा। परंपरा को आधुनिकता के साथ और विविधता को एकता के साथ मिलाते हुए हमारा देश दुनिया को आगे का रास्ता दिखा सकता है। अपने महान देश की सेवा करने का मौका मिलना मेरा सौभाग्य रहा है। मैं इससे ज्य़ादा कुछ और नहीं मांग सकता था। मेरी शुभकामना है कि आने वाली सरकार अपने काम-काज में हर तरह से सफल रहे। मैं अपने देश के लिए और भी बड़ी सफलताओं की कामना करता हूं। (साभार)
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