नई दिल्ली (निस्तुला हेब्बर)। आम चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद से बीजेपी के नेता या तो गुजरात भवन में या झंडेवालान के केशव कुंज में मंडराते देखे जा रहे हैं। पीएम बनने से पहले 7 रेसकोर्स रोड वाले आवास में जाने से पहले नरेंद्र मोदी गुजरात भवन को अपना ठिकाना बनाए हुए हैं तो केशव कुंज दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यालय है। 10 जनपथ और प्रधानमंत्री आवास से दिल्ली में सत्ता के केंद्र का केशव कुंज की ओर खिसकना 1998 से 2004 के बीच एनडीए सरकार के दिनों की याद दिलाता है। बीजेपी को वैचारिक आधार देने वाले आरएसएस ने इस बार चुनाव प्रचार में पूरा जोर लगाया था, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार चलाने में मोदी ज्यादातर मौकों पर अपने मन की करेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान आरएसएस ने कई मंत्रियों की नियुक्ति में दखल दिया था। आरएसएस प्रवक्ता राम माधव ने इस बात से इनकार किया कि संघ इस सरकार के लिए 'रिमोट कंट्रोल' होगा। उन्होंने कहा, 'लोकसभा चुनाव में जीत कर आए जनप्रतिनिधि जानते हैं कि संघ की विचारधारा को कैसे आगे ले जाना है। सरकार के कामकाज, इसकी नीतियों में आरएसएस कोई दखल नहीं देगा।'
मोदी रविवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत से दिल्ली में मिले थे। इससे बमुश्किल एक सप्ताह पहले भी वह भागवत और संघ के दूसरे नेताओं सुरेश भैयाजी जोशी और सुरेश सोनी से मिले थे। आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि मोदी संघ के हिंदुत्व प्रॉजेक्ट को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने कहा, 'हिंदुत्व प्रॉजेक्ट के बारे में आपको क्या जानकारी है? बीजेपी उस मैनिफेस्टो को लागू करेगी, जिस पर वह चुनाव जीत कर आई है।' संघ इस बात से संतुष्ट है कि गौ हत्या और अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के मुद्दे मोदी के प्रचार अभियान का अहम हिस्सा रहे। मोदी के बारे में मतदाताओं में पैदा हुए उत्साह ने संघ पर भी लोगों का फोकस बढ़ाया है। आरएसएस के पब्लिसिटी चीफ मनमोहन वैद्य की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, संघ से जुड़ने की इच्छा जताने वालों की संख्या पिछले एक महीने में दोगुनी हो गई है। उन्होंने कहा, 'अप्रैल में संघ से जुड़ने की चाहत रखने वालों की संख्या करीब 6,884 थी, जबकि मार्च में यह आंकड़ा लगभग 3,000 का था। यह पिछले साल सितंबर में उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा के बाद इस संख्या में सबसे बड़ा उछाल है।' बीजेपी को बहुमत मिलने के साथ लग रहा है कि आरएसएस अनुच्छेद 370, समान नागरिक संहिता और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर फिलहाल जोर न देकर शैक्षिक संस्थाओं में दबदबा बढ़ाने और इतिहास की किताबों को नए सिरे से तैयार करने जैसे अजेंडे पर ध्यान देगा। आरएसएस भले ही नई सरकार में सीधे दखल न दे सके, लेकिन बीजेपी को मिले बहुमत ने उसे अपने अजेंडे पर काम करने के लिए ज्यादा गुंजाइश दे दी है। (साभार एनबीटी)
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।