नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूलों में अपनी जीवनी पढ़ाए जाने की कोशिशों पर एतराज जताया है। उन्होंने कहा है कि जिंदा लोगों के बजाय देश बनाने में योगदान देने वाले महान लोगों की जीवनी पढ़ाई जानी चाहिए। दरअसल गुरुवार को गुजरात के शिक्षा मंत्री ने कहा था वो मोदी की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे। दूसरे बीजेपी शासित राज्यों में भी ऐसी चर्चा चल रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकारों का यह रुख रास नहीं आया कि उनकी जीवनी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल की जाए। शुक्रवार को उन्होंने ट्विटर पर ऐतराज जताते हुए लिखा कि आज भारत जो कुछ भी है, उसके पीछे तमाम महान हस्तियों के योगदान का समृद्ध इतिहास है। युवा पीढ़ी को उनके बारे में पढ़ाया जाना चाहिए। मेरी मान्यता है कि स्कूली पाठ्यक्रम में ऐसे लोगों की जीवनी नहीं होनी चाहिए, जो जिंदा हैं।
दरअसल, ये मसला तब गरमाया जब गुरुवार को गुजरात के शिक्षामंत्री ने स्कूलों में मोदी की जीवनी पढ़ाए जाने का इरादा जताया था। शिक्षामंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा ने कहा कि देश के महापुरुषों के जीवन से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। नरेंद्र मोदी ने भी ऐसा जीवन जिया है। उनके संघर्ष को पढ़ने से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी। यही नहीं, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी मोदी की जीवनी पढ़ाने की तैयारी थी। लेकिन इस पर विपक्षी दलों से लेकर इतिहासकारों तक ने ऐतराज जताया। इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा कि जो लोग जिंदा हैं वो तो जिंदा मिसाल हैं। किताबों में उनका जिक्र होता है जो इतिहास बन जता है। मोदी तो जिंदा हैं, सबके सामने हैं, जो ऐसा कर रहे हैं वो चापलूसी की राजनीति कर रहे हैं। बहरहाल, प्रधानमंत्री के ऐतराज को देखते हुए इस सिलसिले में जोश दिखाने वालों ने इरादा बदल लिया है। एमपी के शिक्षामंत्री दीपक जोशी ने कहा कि ये विचार हमें राजस्थान सरकार से आया था तो हमने कहा था कि हम इस पर विचार करेंगे। लेकिन मोदीजी कि अगर ये मंशा है कि नहीं हो, तो हम उनकी जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल नहीं करेंगे। व्यक्ति पूजा का खामियाजा पहले भी गई राजनेता भुगत चुके हैं। मंझे हुए राजनीतिज्ञ नरेंद्र मोदी इस बात को जानते हैं। यही कारण है कि उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को इससे बचने की सलाह दी है।
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