नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार बनी तो यह पिछली कुछ सरकारों में सबसे कम मंत्रियों वाली सरकार होगी। उम्मीद जताई जा रही है कि इसमें 20 से कम कैबिनेट मंत्री होंगे। यूपीए सरकार में 28 कैबिनेट मंत्री और 43 राज्यमंत्री थे। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि अगर बीजेपी सरकार बनी तो मंत्रियों की संख्या कम रखते हुए एक सुधार की नींव डालेगी। मोदी सरकार प्रधानमंत्री के ऑफिस को मजबूत करने और केंद्र-राज्य संबंधों को दुरुस्त करने पर भी जोर देगी। इसके तहत इंटर-स्टेट काउंसिल और नैशनल डिवेलपमेंट काउंसिल जैसी संस्थाओं में जान फूंकी जाएगी। काफी लोगों का मानना है कि अहम मंत्रालय टेक्नोक्रेट्स को दिए जा सकते हैं, लेकिन मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि कैबिनेट में शीर्ष पद पर सियासी दिग्गजों को ही जगह दी जाएगी। कुछ टेक्नोक्रेट्स को मंत्रिपरिषद में जगह मिल सकती है, लेकिन उन्हें राज्य मंत्री के दर्जे पर ही रखा जाएगा। हालांकि उन्हें स्वतंत्र प्रभार दिया जा सकता है।
राज्य सभा में फिलहाल विपक्ष के नेता अरुण जेटली के वित्त मंत्री बनने की मजबूत संभावना है, भले ही वह अमृतसर में चुनाव हार जाएं। बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को गृह या रक्षा मंत्रालय का प्रभार दिया जा सकता है। बशर्ते वह पार्टी प्रेजिडेंट का पद छोड़ने को राजी हों। मामले की जानकारी देने वालों ने बताया कि इस संबंध में अंतिम निर्णय राजनाथ सिंह पर ही छोड़ा जाएगा। लोकसभा में फिलहाल विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को भी चार टॉप मंत्रालयों में से कोई एक दिया जाएगा। उनकी पसंद का मामला राजनाथ सिंह से जुड़ा है। अगर सिंह बीजेपी प्रेजिडेंट का पद छोड़कर होम मिनिस्टर बनते हैं तो स्वराज को डिफेंस मिनिस्टर बनाया जा सकता है। हालांकि नितिन गडकरी भी डिफेंस मिनिस्टर के दावेदार हैं। अगर गडकरी को इस मंत्रालय में मौका मिला तो सुषमा को विदेश मंत्री बनाया जा सकता है। बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद को कानून मंत्री का ओहदा मिल सकता है। यूपी में बीजेपी के इंचार्ज अमित शाह को पीएमओ में राज्य मंत्री बनाया जा सकता है। एक संभावना यह भी है कि अगर राजनाथ सिंह कैबिनेट में शामिल होने का फैसला करते हैं तो शाह उनकी जगह ले सकते हैं। (साभार)
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