मुजफ्फरनगर (विनय शर्मा)। रामपुरी में पत्नी और बेटी की हत्या की चीख-पुकार घर में ही कैद होकर रह गईं। खानदान का इकलौता चिराग एक साल का मासूम बच्चा मां के शव के पास बिलखता रहा। सुबह सिर्फ चर्चाएं होती रहीं। शांत स्वभाव के आशू के व्यवहार की चर्चा मोहल्ले लोग आज भी कर रहे थे। कभी किसी से ऊंची आवाज में भी उसे बोलते हुए नहीं सुना था। तो फिर ऐसा क्या हो गया जो उसने लख्ते जिगरों को धारदार हथियारों से काटकर मौत की नींद सुला दिया। ऐसे ही कई सवाल लोगों की जुबान पर हैं। आशू के कृत्य ने पेशेवर अपराधी को भी पीछे छोड़ दिया। घर की दीवारों से हत्या के दौरान निकली चीख-पुकार बाहर नहीं जा सकी। बेरहमी से किए दोनों कत्लों के दौरान पड़ोसियों ने भी घर के अंदर से निकली चीख पुकारों को नहीं सुना।
आशू की पत्नी की धारदार हथियार से हत्या की गई थी। उसके सीने और जांघ पर चोट के गहरे निशान थे। बेटी की गर्दन पर वार किए गए। आखिर बेरहमी से किए कत्ल के पीछे आशू की मंशा क्या थी। गुस्से की पराकाष्ठा में ही कोई बेरहमी से हत्या कर सकता है। इस घटना के बाद परिवार में इकलौता चिराग बचा है। मृतक आशू के घर में सिर्फ अब मांगेराम और विमला की बूढ़ी आंखों का सहारा उनका पोता ही बचा है। शायद आशू ने पत्नी और बेटी की हत्या के बाद अपने बेटे को परिवार के वारिस के तौर पर ही उसे छोड़ा है। पोस्ट आफिस से रिटायर्ड मांगेराम का इकलौता पुत्र आशू उत्तराखंड में प्रापर्टी का काम करता था। मोहल्ले के लोगों के मुताबिक आशू निहायत ही शरीफ था। आशू के पिता मांगेराम ने भी स्वीकार किया कि उनका किसी कोई न विवाद या आपसी रंजिश भी नहीं है। हाल फिलहाल में परिवार में किसी से कोई विवाद भी नहीं हुआ था। लेकिन इस लोमहर्षक घटना से कुछ न कुछ अचानक घटने को बल मिल रहा है।
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