मोटापा घटाने वाले बेहतरीन से बेहतरीन तरीक़ों की खोज का कोई अंत नहीं है। अब चीन के शोधकर्ता इस बात पर अध्ययन कर रहे हैं कि आंत में मौजूद बैक्टीरिया का लोगों के मोटापे से क्या संबंध है। उनका मानना है कि आंत में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की प्रजाति में बदलाव लाकर लोगों के वज़न कम करने में मददगार साबित हो सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वज़न कम करने के पारंपरिक तरीक़े का महत्व कभी ख़त्म नहीं होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, 2008 में दुनिया में 20 वर्ष से ज़्यादा उम्र वाले क़रीब 1.4 अरब लोग मोटापे के शिकार थे। यह संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है और 1980 के मुक़ाबले यह दोगुनी हो गई है।
चूहों पर किए गए इस शोध से पता चला है कि बैक्टीरिया और मोटापे में संबंध है। शंघाई में वैज्ञानिकों ने मोटापे के शिकार ऐसे 93 लोगों को शोध के लिए चुना जिनका औसत बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 32 था। उन्होंने इन लोगों को एक ख़ास प्रकार के बैक्टीरिया बढ़ाने वाला भोजन दिया, जिससे आंत में अन्य क़िस्म के बैक्टीरिया की संख्या कम हो गई। इस दौरान संतुलित ख़ुराक का ध्यान रखा गया। तीस दिन, नौ सप्ताह और तेईस सप्ताह के अंतराल पर सहभागियों ने एक प्रश्नावली में पिछले चौबीस घंटों में लिए गए भोजन के बारे में बताया। रात भर के उपवास के बाद सभी सहभागियों का परीक्षण किया गया और उनका वजन मापा गया। इस प्रयोग में नौ सप्ताह तक शामिल रहे लोगों में औसतन पांच किलोग्राम वज़न कम हुआ और 23 सप्ताह इस ख़ुराक पर रहने वालों में 45 प्रतिशत लोगों का औसतन छह किलोग्राम वज़न कम हुआ। इनका औसत बीएमआई कम होकर 29.3 रह गया। ज़्यादा मोटापे के शिकार एक व्यक्ति का वज़न छह महीने में 51 किलोग्राम तक कम हुआ।
यह शोध माइक्रोबायोलॉजी इकोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। शोध पत्र के अनुसार, रक्त नलिकाओं को नुक़सान पहुंचाने वाले और धमनियों को बाधित करने के लिए ज़िम्मेदार सी-रीएक्टिव प्रोटीन की भी मात्रा भी कम पाई गई। इस अध्ययन से जुड़े तोंग विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर लिपिंग झाओ का कहना है कि आंत में अत्यधिक विशैला पदार्थ पैदा करने वाले बैक्टीरिया के उच्च स्तर से इंसुलिन स्राव पर असर पड़ता है। इसका मतलब यह हुआ कि एक कटोरा चावल भूख को शांत नहीं कर पाता और खाने की इच्छा बनी रहती है। प्रोफ़ेसर लिपिंग कहते हैं, ''यदि इस तरह के बैक्टीरिया आंत में मौजूद होते हैं तो कैलोरी नियंत्रित खुराक से भी वज़न कम नहीं हो सकता क्योंकि यह उस जीन को निष्क्रिय कर देता है जो कैलोरी जलाने के लिए ज़िम्मेदार होता है। लेकिन डरहम विश्वविद्यालय के डॉ. डेविड विनकोव का कहना है कि बैक्टीरिया अपनी प्रकृति में बदलवा करते हैं और इस शोध में इस ओर भी ध्यान देना होगा। इंपीरियल कॉलेज, लंदन के प्रोफेसर सर स्टीफेन ब्लूम कहते हैं कि शरीह में कोशिकाओं से 10 गुने ज़्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं। ''इसमें कोई शक नहीं कि शरीर में मौजूद बैक्टीरिया का शरीर पर प्रभाव पड़ता है. उदाहरण के लिए पेचिश के दौरान कई तरह के बैक्टीरिया पेट में पैदा हो जाते हैं और वज़न को कम करते हैं।''(BBC)
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