नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने भाजपा नेता अमित शाह के उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में प्रचार करने पर लगी रोक को हटा लिया है। आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने पर आयोग ने अमित शाह पर ये पाबंदी लगाई थी। आयोग ने उन्हें आगे आचार संहिता का पालन करने की हिदायत दी है। इससे पहले शाह ने भरोसा दिलाया कि वह लोक शांति और कानून-व्यवस्था को बाधित नहीं करेंगे। आयोग ने एक आदेश में कहा कि शाह को जनसभाएं करने, रैलियां निकालने और रोड शो करने तथा जुलूस निकालने की इजाजत दी गई है। माना जा रहा है कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के निकट सहयोगी शाह के लिए यह बड़ी राहत है, क्योंकि वह उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रभारी हैं।
चुनाव आयोग ने ‘बदला लेने वाले’ शाह के विवादास्पद बयान के कारण उनके चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी थी। उनके साथ सपा के नेता और उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खान के चुनाव प्रचार करने पर भी रोक लगाई गई थी। इन दोनों नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिनकी चुनाव आयोग से शिकायत की गई थी। दोनों के भाषणों की जांच के बाद आयोग ने इनके यूपी में रैली करने पर प्रतिबंध के साथ ही एफआईआर लिखने के भी आदेश दिए थे। आयोग ने अपने आदेश में कहा, 'आपने अपने हलफनामे में कहा है कि आप शपथ लेते हैं कि मैं प्रचार के दौरान कोई आपत्तिजनक अथवा अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं करूंगा और किसी भी तरह से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करूंगा।' चुनाव आयोग इस संबंध में एक पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि आयोग शाह की जनसभाओं, रोड-शो और रैलियों पर वीडियो रिकॉर्डिग के जरिए खास निगरानी रखेगा। चुनाव आयोग के अनुसार शाह को दूसरा मौका इस आधार पर दिया जा रहा है कि उन्होंने भविष्य में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई थी।
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