वाराणसी । नरेंद्र मोदी से मुकाबले के लिए तैयार अरविंद केजरीवाल के पैर काशी की रपटीली गलियों में जम नहीं पा रहे। बाहर से आयातित आम आदमी टोपी वाले कार्यकर्ता केजरीवाल के यहां आने से पहले इलाके में दिखने लगे हैं, लेकिन उनका प्रभाव अभी तक सियासी आबोहवा में कहीं नजर नहीं आता। काशी के घाट-घाट का पानी पिये भाजपाई केजरीवाल की झाड़ू और टोपी को अभी तक समेटने में कामयाब रहे हैं। भाजपा ने इन तेवरों के स्पष्ट संकेत भी दे दिए। पार्टी नेताओं का कहना है कि काशी में मोदी के खिलाफ केजरीवाल को राजनीतिक मुक्ति मिलेगी और यहीं पर उनका राजनीतिक पिंडदान भी हो जाएगा। माना जा रहा है कि केजरीवाल भी अपने स्वभाव के अनुरूप भाजपा को उकसाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे और करारे प्रहार करेंगे, जिससे काशी का माहौल गरमा सकता है।
केजरीवाल के आने से पहले उनके पक्ष में माहौल बनाने की आम आदमी पार्टी (आप) की कोशिशें फिलहाल तो परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। अस्सी घाट से लेकर गोदौलिया या दशाश्वमेध घाट तक जहां-जहां आप के छिटपुट लोग झाड़ू और टोपी के साथ निकलते हैं, भाजपा के युवा कार्यकर्ता मोदी-मोदी के गगनभेदी शोर में उनकी आवाज और संख्या को गौण कर देते हैं। स्थानीय स्तर पर सशक्त लोगों के न जुड़ने से आप कहीं प्रतिरोध करती भी नजर नहीं आती। ऐसे में केजरीवाल के बाहरी फौज के साथ प्रदर्शन पर सबकी निगाहें टिकी हैं। दिल्ली में केजरीवाल की सफलता में तीन कारण अहम थे। पहला, वह लगातार चर्चा में थे और हर घर में केबल टीवी की पहुंच वाले घरों में आप लगातार चर्चा में रही। दूसरा, दिल्ली में पार्टी का संगठन खड़ा हो चुका था और 15 साल के कांग्रेस के शासन व भाजपा के स्थानीय नेतृत्व की विश्वसनीयता के अभाव में केजरीवाल ने चमत्कार कर दिया। तीसरा सबसे अहम कारण था, दिल्ली में जनता की बहस-मुबाहिस टीवी चैनलों और अखबारों तक ही ज्यादा सीमित रही। लेकिन, बनारस में लोगों के पास सियासत से लेकर साहित्य तक हर मुद्दे पर चर्चा का खूब समय और ज्ञान भी है। मोदी और राहुल के इतिहास से लेकर केजरीवाल का भी पूरा जीवन चरित सबको पता है। भाजपा उसे अपने तरीके से पेश कर केजरी को जरा भी मौका नहीं दे रही। अगंभीर व जिम्मेदारी से भागने वाले हताश और देशविरोधी लोगों का समुच्चय करार देने में भाजपा गली-गली लगी है। अन्य दलों के लोग भी केजरीवाल को गंभीरता से लेने को राजी नहीं हैं। (साभार)
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।