नई दिल्ली। भाजपा के लौहपुरुष कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने ऐन चुनावों के वक्त एक बार फिर से पूरी पार्टी और संघ परिवार को परेशानी में डाल दिया। भाजपा चुनाव समिति की बैठक आडवाणी के रूठने और मनाने में ही दब गई। पहले तो संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति की बैठक से ही गैरहाजिर रहकर उन्होंने गोवा की चर्चित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी जैसे हालात खड़े कर दिए। इसके बाद उन्हें गांधीनगर से चुनाव लड़ाने का सर्वसम्मत फैसला हुआ तो उससे भी नाराजगी जताकर पार्टी के सामने असहज स्थिति खड़ी कर दी। चुनाव दरवाजे पर है लेकिन आडवाणी अपनी जिद के सामने पार्टी की छवि और भविष्य को भी नजरअंदाज करने पर अड़े हुए हैं। देर रात तक कभी संघ के जरिये तो कभी पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से उन्हें मनाने की कोशिशें होती रहीं। लेकिन गांधीनगर से उम्मीदवारी पर उन्होंने हामी नहीं भरी।
पूरे दिन चले घटनाक्रम ने एक बार फिर से भाजपा और संघ को सकते में डाल दिया है। यही कारण है कि विवाद नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत से मुलाकात हुई। वहीं, सुषमा स्वराज और नितिन गडकरी ने भी आडवाणी से मुलाकात की। बाद में गडकरी और सुषमा पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिलने पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक, कुछ ही दिन पहले अपने पुराने संसदीय क्षेत्र गांधीनगर से ही चुनाव लड़ने की सार्वजनिक इच्छा जता चुके आडवाणी अब शायद इससे खफा है कि उनकी सीट घोषित होने में देर क्यों लगी जबकि पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं को लेकर संशय पहले ही खत्म हो गया था।
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