मुम्बई। नूपुर अस्थाना के निर्देशन में बनी 'बेवकूफियां' यशराज बैनर की एक और अच्छी फिल्म है। वैसे तो इस बैनर की ख्याति ही बड़ी तादाद में बेहतर फिल्में देने की रही है। रोमांस व कॉमेडी से भरपूर इस फिल्म में रुपहले पर्दे पर कई रंग बिखेरे गए हैं।
मोहित (आयुष्मान खुराना) और मायरा (सोनम कपूर) दिल्ली के युवा कपल हैं। मोहित एक एयरलाइंस कंपनी में काम करता है, पर मंदी की चपेट में आने से उसकी नौकरी छूट जाती है। उसके सामने पैसे की तंगी रहती है। यहां तक कि उसके क्रेडिट कार्ड की लिमिट भी खत्म हो जाती है। पुराने फर्म में वह सीनियर एक्जीक्यूरटिव था। इसलिए निचले दर्जे की नौकरी के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाता। इसके विपरीत मायरा की कमाई अच्छी-खासी है। वह मोहित को कर्ज चुकता करने के लिए अपनी ओर से रुपये उधार देती है। पर मोहित कभी भी जॉब खोजने के लिए सीरियस नहीं दिखता। इस बुरे वक्त में मायरा उसकी कुछ इस तरह मदद करती है, जिससे यह जोड़ा एक बार फिर खुशहाल हो जाता है। इस फिल्म में तीसरा सबसे अहम किरदार है मायरा के पिता वीके सहगल (ऋषि कपूर) का। वे सरकारी सेवा में हैं। वे हमेशा बड़े-बड़े नामों का इस्तेहमाल करके अपने जानने वालों को प्रभावित करने की कोशिश करते रहते हैं। उन्हेंक इस विचार से ही नफरत है कि उनकी बेटी एक बेहद साधारण लड़के से शादी करने की चाहत रखे। 'बेवकूफियां' में आप सिर्फ वही पाएंगे, जो आपको इसके ट्रेलर व पोस्टरों में नजर आता है। ऋषि कपूर का अभिनय काफी दमदार है, जो फिल्म, की नैया पार लगाने की कोशिश करते दिखता है। वही इस फिल्म में असली स्टार हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिल्म में सोनम कपूर ने काफी अच्छी एक्टिंग की है। आयुष्मान खुराना भी कुल मिलाकर ठीक-ठाक हैं। पर एक कमजोर पटकथा की फिल्म में इन दोनों के लिए कुछ खास काम नहीं है। (साभार)
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