नई दिल्ली। तेलंगाना बिल को लेकर गुरुवार यानी 13 फरवरी को लोकसभा में कुछ सांसदों की हरकत से देश शर्मसार हो गया। इस पूरे घटनाक्रम की चारों ओर निंदा हो रही है। भारतीय संस्कृति में 13 नंबर की अपनी अहमियत है, जिसे आमतौर पर अशुभ माना जाता है। भारतीय संसद के इतिहास में भी 13 नंबर खास है।
गुरुवार को 13 फरवरी थी। इससे पहले संसदीय इतिहास में संसद पर आतंकी हमले के रूप में जो शर्मनाक घटना घटी थी, वह भी 13 दिसंबर 2001 को हुई थी। इतना ही नहीं, बीजेपी के संसदीय इतिहास में भी 13 का अपना संबंध है। बीजेपी सरकार के रास्ते में भी 13 के आंकड़े ने बाधा खड़ी की। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की पहली बार सरकार बनी, तो वह भी 13 दिन ही चली। उधर, इस घटना की अब सभी दल निंदा कर रहे हैं। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने इसे शर्मनाक बताते हुए कहा कि हमारे संसदीय लोकतंत्र को दुनिया भर में सराहा जाता है। आज जो कुछ भी हुआ, वह लोकतंत्र पर धब्बा है। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि बिल पेश हो गया है और संसद को शर्मसार करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने इस घटना के तुरंत बाद कहा है कि संसदीय लोकतंत्र पर यह काला धब्बा है, स्पीकर फैसला लेंगी कि इन सांसदों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए? ध्यान रहे कि स्पीकर ने बिल के विरोध में शोरशराबा कर रहे 17 सांसदों को सदन से निष्कसित कर दिया, जबकि संसदीय मामलों के राज्य मंत्री ने इस घटना को सांसदों को मारने की कोशिश करार दिया। कांग्रेस सांसद भक्त चरण दास ने कहा कि इन सांसदों ने आतंकियों की तरह व्यवहार किया है। इस घटना ने सांसदों के संसद में प्रवेश से पहले तलाशी को जरूरी बना दिया है। कांग्रेस ने इस मामले को ऐसी अफसोसनाक घटना करार दिया, जिसकी निंदा करने के लिए शब्द कम पड़ जाएं। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना था कि संसद में जा कुछ हुआ, उसकी जितनी निंदा की जाए, वह कम है। सिंघवी का कहना था कि संसद की गरिमा का ध्यान रखना इसके सदस्यों का काम है। इसलिए अब यह सांसदों की जिम्मेदारी बनती है कि भविष्य में ऐसी कोई घटना दोबारा न हो। (साभार-एनबीटी
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