मुम्बई (कोमल नाहटा)। धर्मा प्रोडक्शंस और फैंटम फ़िल्म्स प्रोडक्शन की 'हंसी तो फंसी' एक लव स्टोरी है। निखिल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) एक मस्तमौला लड़का है जो एक सिद्धांतवादी पुलिस अफ़सर एसबी भारद्वाज (शरत सक्सेना) का बेटा है। वो करिश्मा (अदा शर्मा) से प्यार करता है और दोनों शादी करने का फ़ैसला कर लेते हैं। करिश्मा एक अमीर उद्योगपति (मनोज जोशी) की बेटी है। निखिल अपना ख़ुद का बिज़नेस शुरू करना चाहता है और वो चाहता है कि उसके होने वाले ससुर उसकी मदद करें। निखिल और करिश्मा की शादी के समारोह शुरू होने पर करिश्मा की बहन मीता (परिणीति चोपड़ा) भी अचानक सबके सामने आ जाती है। मीता, कई साल पहले अपनी आगे की शिक्षा के खर्चे पूरे करने के लिए घर से गहने चुराकर भाग जाती है। करिश्मा, निखिल से मीता का ध्यान रखने को कहती है ताकि उसके परिवार वालों को मीता की मौजूदगी का पता ना चल सके।
निखिल पता है कि मीता ड्रग्स की बुरी लत का शिकार हो चुकी है और वो उसे इससे बाहर निकालने की ठान लेता है। इस बीच निखिल और मीता एक दूसरे के क़रीब आ जाते हैं। आगे क्या होता है? निखिल किससे शादी करता है, मीता से या करिश्मा से? क्या मीता का परिवार उसे स्वीकार करता है? यही फ़िल्म की कहानी है। हर्षवर्धन कुलकर्णी की कहानी और स्क्रीनप्ले बहुत दिलचस्प हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि दर्शकों को अंदाज़ा भी नहीं होता कि आगे क्या होने वाला है। लेकिन ये भी कहना होगा कि कई जगह पर लेखक ने अपनी सहूलियत के हिसाब से फ़िल्म में मोड़ देने की कोशिश की है जो साफ़ समझ में आ जाता है। इंटरवल से पहले फ़िल्म के कई हिस्से उबाऊ है, क्योंकि दर्शक समझ ही नहीं पाते कि फ़िल्म में जो हो रहा है वो दरअसल क्यों हो रहा है। लेकिन इंटरवल के बाद जैसे-जैसे कहानी दर्शकों को समझ में आती है वो फ़िल्म से जुड़ने लगते हैं।
निखिल जैसे जैसे मीता को समझता है और दर्शकों के सामने जैसे जैसे मीता के किरदार की परतें खुलती जाती हैं वो उसे पसंद करने लगते हैं। परिणीति चोपड़ा के किरदार का बिंदासपन, उसका चुलबुलापन लोगों को बहुत पसंद आएगा। कई जगह दर्शक भावुक भी हो जाएंगे। निखिल का किरदार भी बहुत दिलचस्प है। फ़िल्म का हास्य एक ख़ास दर्शक वर्ग को ही पसंद आएगा। सिंगल स्क्रीन थिएटर्स के लोगों को फ़िल्म ख़ास लुभा नहीं पाएगी। फ़िल्म के संवाद बड़े चुटीले हैं। सिद्धार्थ मल्होत्रा अपनी दूसरी ही फ़िल्म में बेहद परिपक्व तौर पर सामने आए हैं। वो बहुत हैंडसम लगे हैं। परिणीति चोपड़ा ने अवॉर्ड विनिंग परफ़ॉर्मेंस दी है। उन्होंने अपने हर सीन में जान डाल दी है। करिश्मा के रोल में अदा शर्मा ने भी अच्छा अभिनय किया है। अनुशासनप्रिय पुलिस अफ़सर के रोल में शरत सक्सेना बहुत जमे हैं। उन्होंने अच्छा मनोरंजन किया है।
परिणीति के पिता के रोल में मनोज जोशी भावुक और कॉमिक दोनों ही तरह के दृश्यों में उम्दा रहे। एक सीन में जब वो अपने भाई के सामने रो पड़ते हैं, उन्होंने लाजवाब अभिनय किया है। बाकी कलाकारों ने भी अच्छा सहयोग दिया है। विनिल मैथ्यू ने अच्छा निर्देशन किया है। अपनी पहली ही फ़िल्म में उन्होंने एक मुश्किल कहानी चुनी लेकिन उसे अच्छे से अंजाम दिया। विशाल-शेखर का संगीत अच्छा है लेकिन फ़िल्म में एक भी सुपरहिट गाना नहीं है। कुल मिलाकर 'हंसी तो फंसी' एक मनोरंजक फ़िल्म है लेकिन एक ख़ास दर्शक वर्ग के लिए ही। (साभार बीबीसी)
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