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आपको पता है भारत की ये 10 ख़ास बातें!

सैम मिलर
नई दिल्ली। भारत के बारे में जब भी ज़िक्र होता है तो चीज़ों का हम अक्सर सरलीकरण कर देते हैं या फिर उन्हें लकीर का फकीर करार दे देते हैं। आख़िरकार ये एक बहुत बड़ा देश है जहाँ वंश, भाषा, खान-पान और पहनावे की ग़ज़ब की विविधता है। इसके बारे में किसी एक तयशुदा राय तक पहुंचना हमेशा मुश्किल भरी होती है। इस तरह की विविधता साधारणतः किसी महाद्वीप में देखने को मिलती है। मैंने अपनी ज़िंदगी का एक लम्बा अरसा भारत में गुज़ारा है व इस अनुभव के सहारे भारत के बारे में दस बड़ी चीज़ों पर रोशनी डालने की कोशिश की है। मुमकिन है कि भारत की आबादी साल 2028 में चीन को पार कर जाए। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक़ भारत महज 14 वर्षों में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश हो जाएगा। तब इस देश की आबादी कोई 1.45 अरब के क़रीब होगी। भारत में कई लोग सोचते हैं कि बड़ी आबादी वाला देश बनना एक उपलब्धि है, जब भारत की चीन से तरक्की पर प्रतिद्वंद्विता हो। कुछ लोग ऐसे भी है, ख़ासकर पुरानी पीढ़ी से, जो देश में दशकों से चलाए जा रहे जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम की नाकामी के तौर पर देखते हैं। इसमें 1970 के दशक में बड़े पैमाने पर जबरन चलाया गया नसबंदी कार्यक्रम भी है जो कि बेहद विवादास्पद रहा। हालांकि भारत के लगभग हर हिस्सों में महिलाओं की शिक्षा, आमदनी बढ़ने व गर्भनिरोध के साधनों की उपलब्धता जैसे कारणों से जन्म दर घटी है लेकिन इसका नतीजा लोगों की औसत उम्र बढ़ने के तौर पर भी दिखा है। भारत कभी एक महाद्वीप था। ये तकरीबन दस करोड़ साल पहले की बात है। तब धरती पर डायनासोर घूमा करते थे। मौजूदा भारत का एक बड़ा हिस्सा कभी एक द्वीप था। गोंडवानालैंड नाम के एक विशाल और प्राचीन महाद्वीप से अलग होकर भारत अस्तित्व में आया। गोंडवाना मध्य भारत में घने जंगलों से ढका एक भूभाग है। गोंडवानालैंड से अलग होने के बाद से ही यह धीरे-धीरे उत्तर की ओर खिसक रहा है। कोई पांच करोड़ साल पहले जब डायनासोर अस्तित्व में थे तब भारतीय उपमहाद्वीप प्लेट की एशिया से टक्कर हुई व दोनों ही भूभाग के तटवर्ती हिस्सों की हुई टक्कर से हिमालय पर्वत श्रृंखला का जन्म हुआ। यह दुनिया की सबसे नई और महत्वपूर्ण पर्वत श्रृंखला है और हाँ, बेशक सबसे ऊँची भी। भारत में संभवतः दुनिया की सबसे ज़्यादा भाषाएं बोली जाती रही हैं। इतनी ज़ुबानें दुनिया के किसी और देश में शायद ही बोली जाती होंगी। भारत में बोली जाने वाली भाषाओँ की ठीक-ठाक संख्या एक हज़ार से ज़्यादा है लेकिन कई बार ये भी मुश्किल हो जाता है कि कब एक ज़ुबान शुरू हुई और दूसरी ख़त्म हुई। साल 1961 की जनगणना में भारत में बोली जाने वाली 1652 भाषाएं दर्ज हुईं। हालांकि इनमें से कई भाषाएं महज बोलियां ही हैं जिनका कोई लिखित स्वरूप नहीं होता है और तब से लेकर अब तक कई भाषाएं मर भी चुकी हैं। भारत की छह बड़ी भाषाएं हैं हिंदी, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल और उर्दू। इनमें प्रत्येक भाषा को बोलने वाले लोगों की संख्या पांच करोड़ से ज़्यादा है। 122 ऐसी भाषाएं हैं जिन्हें दस हज़ार से ज़्यादा लोग बोलते हैं। भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों ही सरकारी कामकाज की भाषा है। हालांकि संविधान लिखने वालों ने ज़ोर दिया कि वक़्त के साथ अंग्रेज़ी विदा हो जाएगी, लेकिन अन्य भाषाओं के हिंदी के वर्चस्व के विरोधस्वरूप अंग्रेज़ी सरकारी कामकाज की भाषा बनी। भारत के पास दुनिया के दस बड़े महानगरों में से तीन हैं। ये संख्या चीन से एक ज़्यादा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दिल्ली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला शहर है जबकि मुंबई सातवें स्थान पर है और कोलकाता दसवें। दिल्ली और उससे लगे शहरी इलाक़ों की आबादी अब सवा दो करोड़ से भी ज्यादा हो चुकी है और केवल तोक्यो ही इससे आगे है। सत्रहवीं सदी में दिल्ली कुछ हद तक दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले शहरों में एक हुआ करता था लेकिन 1960 के दशक में ये दुनिया के 30 बड़े शहरों में से भी एक नहीं था। इसके बाद से दिल्ली की आबादी में हर साल चार फ़ीसदी से भी ज़्यादा की दर से इजाफ़ा हुआ है। हालांकि जनसंख्या की वृद्धि दर गिरी है लेकिन ये अब भी तीन फ़ीसदी सालाना की दर से ज़्यादा है। भारत को हमेशा इस बात पर गर्व रहा है कि वह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। चीन के मतदाता अपने देश के शासकों को सीधे नहीं चुनते और साल 2009 के आम चुनावों में 417,037,606 लोगों ने मतदान किया था। यह तकरीबन 60 फ़ीसदी के आस-पास का मतदान है। इस चुनाव में 830,866 मतदान केंद्र बनाए गए थे। इसमें एक ऐसा मतदान केंद्र भी था जहां केवल एक मतदाता था। भारत के निर्वाचन आयोग का कहना है कि किसी भी मतदाता को अपने नजदीकी मतदान केंद्र पर जाने के लिए दो किलोमीटर से अधिक की दूरी नहीं तय करनी होगी और अगर ज़रूरत हुई तो कुष्ठ रोगियों के आश्रम के लिए अलग से एक मतदान केंद्र बनाया जा सकता है। भारत में ये भी एक रिकॉर्ड है कि तमिलनाडु के मोडाकुरीची निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए 1,032 प्रत्याशी मैदान में थे। भारत में दुनिया के मुसलमानों की दूसरी या तीसरी सबसे बड़ी आबादी रहती है। हालांकि यह आंकड़ा देश की आबादी का 15 फ़ीसदी भी नहीं है और इतनी बड़ी आबादी का ये मतलब है कि भारत दुनिया के कई मुस्लिम बहुल देशों से भी आगे है। इंडोनेशिया और शायद पाकिस्तान की आबादी भारत की मुस्लिम जनसंख्या से ज़्यादा होगी। माना जाता है कि पाकिस्तान में भी मुसलमानों की ठीक वही संख्या है जो भारत में है। कहते हैं कि भारत में मुसलमान पहली बार केरल की ज़मीन पर आए थे। तब वे व्यापार किया करते थे। ये पैगंबर मोहम्मद के जीवनकाल की ही बात है। आज़ादी के समय लाखों मुसलमान या तो पूर्वी पाकिस्तान या पश्चिमी पाकिस्तान चले गए। पूर्वी पाकिस्तान साल 1971 में बांग्लादेश बना। आज भारत में केवल कश्मीर घाटी व हिंद महासागर में एक छोटा सा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप ही मुस्लिम आबादी बहुल इलाके हैं। भारत में दुनिया के किसी और देश की तुलना में सबसे ज़्यादा सड़क हादसे होते हैं। भारत के बारे में ये एक ऐसा तथ्य है जिससे यहां आने वाले सैलानियों को बहुत ज़्यादा हैरत नहीं होती। कई लोगों को यहां की सड़कें खौफ़नाक लगती हैं। आंकड़े कहते हैं कि भारत में हर साल 115,000 हज़ार लोग सड़क हादसे में मारे जाते हैं। हाल में एक ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट में है कि भारत में सड़क हादसों में हर साल मरने वाले करीब दो लाख लोग हैं। रिपोर्ट में ये भी है कि मरने वालों में 37 फ़ीसदी लोग पैदल चलने वाले होते हैं। 28 फ़ीसदी साइकिल या बाइक सवार। आंकड़े के अनुसार 55 फ़ीसदी मामलों में मौत हादसे के 5 मिनट में हो जाती है। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है। यहां हर साल औसतन 1100 से भी ज़्यादा फ़िल्में बनती हैं। यह नाइजीरिया के फ़िल्म उद्योग से थोड़ा ही आगे है। अमेरिका के फ़िल्म उद्योग से दोगुना बड़ा है और यहां ब्रिटेन की तुलना में दस गुना ज़्यादा फिल्में बनती हैं। अक्सर ये समझा जाता है कि भारतीय सिनेमा का मतलब बॉलीवुड है लेकिन यहां साल भर में 200 फिल्में ही बनती हैं। भारत में बोली जाने वाली दो दक्षिण भारतीय भाषाओं तमिल और तेलुगु में भी बड़ी संख्या में फिल्में बनती हैं। चेन्नई और हैदराबाद भारतीय सिनेमा के दो बड़े केंद्र हैं। हालांकि बॉक्स ऑफिस पर होने वाली कमाई के मामले में भारत का क्रम दुनिया में छठा है। अमरीका, चीन, जापान, ब्रिटेन और फ्रांस भारत से आगे हैं। भारत दुनिया में आम का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। भारत में कई लोगों के लिए गर्मियों में सबसे बड़ी राहत की बात आम का ज़ायका ही होता है। इसे राष्ट्रीय फल कहा जाता है। इस फल की कई सौ प्रजातियां हैं जिनमें 30 से ज़्यादा प्रजातियां व्यावसायिक तौर पर उपलब्ध हैं। यह हर आम व ख़ास आदमी का पसंदीदा है। कई बार लोगों को ये बहस करते सुना गया है कि आम की कौन सी नस्ल सबसे लज़ीज़ है। मुंबई में पाया कि अलफांसो को दुनिया की बेहतरीन आम नहीं मानने से लोग आहत होते हैं। दुनिया में आम का 40 फीसदी सालाना उत्पादन भारत में होता है। चीन, थाईलैंड और बांग्लादेश भारत से आम के मामले में होड़ करने के लिहाज से बहुत पीछे हैं। रिकॉर्ड तोड़ने व बनाने के मामले में भारतीयों में ग़ज़ब की दीवानगी है। ये कहने के लिए कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं है लेकिन दावा है। 'गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' के अनुसार हर साल नए रिकॉर्ड बनाने का दावा करने में भारत अमेरिका व ब्रिटेन के बाद तीसरे नंबर पर है। इस सूची में जो सबसे नई बात है वह है कि 891 लोग महात्मा गांधी की लिबास पहनकर एक जगह इकट्ठे हुए थे। हालांकि कुछ ऐसे दावे भी होते रहे हैं जो कि अजीबोगरीब हैं और जिन्हें 'गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में जगह नहीं मिलती लेकिन उनके लिए 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' और 'इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स' है।
(साभार बीबीसी। लेखक ने 'स्ट्रेंज काइंड ऑफ़ पैराडाइजः इंडिया थ्रू फॉरेन आईज़' नाम से एक किताब लिखी है जिसे भारत में पेंग्विन इंडिया ने इसी महीने प्रकाशित किया है)
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