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अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने पर जैन समाज में खुशी की लहर

उदयपुर। श्रमण संघीय सलाहकार दिनेश मुनि ने जैन समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा प्रदान करने के निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा कि इससे जैन संस्कृति, शिक्षण संस्थाओं, परमार्थिक संस्थाओं, धार्मिक स्थलों एवं प्राकृत भाषा के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। अल्पसंख्यक का दर्जा आर्थिक लाभों की बजाय जैन धर्म की विपुल सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। देश की स्वतंत्रता के बाद हर जनगणना में जैन समुदाय धार्मिक दृष्टि से अत्यंत अल्पसंख्यक है। ताजा आंकड़ों के अनुसार भी जैन समाज देश की आबादी का 1 प्रतिषत से भी कम है। उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान में किसी समुदाय के धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक होने पर उसे विषेषाधिकार देने का प्रावधान है। इस संवैधानिक व्यवस्था का लाभ जैन समुदाय को नहीं मिल रहा था। देर से सही परन्तु अब यह लाभ देश एवं दुनिया के सबसे प्राचीन जैन धर्म को मिलेगा। यह सर्वविदित है कि जैन समाज भामाशाहों का समाज है। जैन समुदाय को आह्वान करते हुए सलाहकार दिनेश मुनि ने कहा कि अब जैन समाज को एक जुट होकर इसका पूरा लाभ लेना चाहिए। सलाहकार दिनश मुनि ने प्रधानमंत्री को पत्र प्रेषित कर सरकार का आभार व्यक्त किया तथा साथ ही केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य, राज्यसभा सांसद विजय दर्डा सहित अनेक जैन सांसदों तथा प्रयासरत जैन समाज के चारों समुदायों के तमाम महानुभावों को साधुवाद दिया। उल्लेखनीय है कि देश भर में पिछले कई वर्षों से यह मांग लगातार उठ रही थी कि जैन समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त हो। कुछ राज्यों ने पूर्व में अल्पसंख्यक दर्जा दे रखा था। परन्तु 20 जनवरी को केन्द्र सरकार ने जैन समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा प्रदान किया। जैन समाज अल्पसंख्यक का दर्जा पाने वाला देश में छठा समुदाय है।
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