नई दिल्ली (माला दीक्षित)। दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के लिए सख्त किया गया कानून आसाराम की मुसीबत बन सकता है। इस मामले में उनकी जमानत मुश्किल होगी। ट्रायल जल्द पूरा होगा और अगर आरोप साबित हो गए तो उन्हें कम से कम दस साल के कठोर कारावास की सजा होगी। दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए कानून को सख्त करने वाला क्रिमिनल लॉ (संशोधन) अधिनियम 2013 यही कहता है।
नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में अब आसाराम को इसी सख्त कानून का सामना करना होगा। दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं को रोकने और बेखौफ होते अपराधियों पर लगाम कसने के लिए लाया गया यह कानून गत 2 अप्रैल से लागू हो गया है। इस कानून में संशोधित की गई दुष्कर्म संबंधी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 376 (2)(आइ) कहती है कि 16 वर्ष से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म के दोषी को कम से कम दस वर्ष के कारावास की सजा होगी, जो बढ़कर उम्रकैद तक हो सकती है। उम्रकैद का मतलब जीवनपर्यत से है। साथ ही जुर्माना भी लगेगा। दुष्कर्म से संबंधित आइपीसी की धारा 376 (1) में भी सात से दस साल तक की सजा का प्रावधान है। आसाराम पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली लड़की नाबालिग है। ऐसे में आरोप साबित होने पर आसाराम को दस साल के कठोर कारावास की सजा हो सकती है।
संशोधित कानून में पीड़िता को त्वरित न्याय दिलाने की भी व्यवस्था की गई है। अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 309 में संशोधन किया गया है। जिसके मुताबिक दुष्कर्म के मामलों की रोजाना सुनवाई होगी और आरोपपत्र दाखिल होने के बाद मुकदमे का ट्रायल दो महीने में पूरा कर लिया जाएगा। यौन उत्पीड़न से बच्चों की रक्षा करने वाले कानून (पास्को एक्ट) में भी बदलाव किया गया है जिसके मुताबिक छेड़खानी और दुष्कर्म के अपराध में दोषी पाए गए व्यक्ति को आइपीसी और पास्को जिसमें ज्यादा सजा का प्रावधान होगा वही दी जाएगी। इस कानून का जिक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि आसाराम पर इस कानून के तहत भी आरोप लगे हैं।
नए कानून में दुष्कर्म की परिभाषा को भी व्यापक किया गया है। अब किसी भी तरह का यौन संपर्क दुष्कर्म माना जाएगा। यह कहकर नहीं बचा जा सकता कि वास्तव में यौन संपर्क नहीं हुआ इसलिए अपराध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता। कानून में संशोधन कर जोड़ी गई ये धाराएं आसाराम के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती हैं। (साभार)
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