ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन स्थित परमार्थ गुरुकुल एवं श्री दैवी सम्पद् अध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय में आज शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया। विद्यार्थियों (ऋषि कुमारों) ने आज के दिन को संकल्प दिवस के रूप में मनाया तो संस्कृत दिवस के रूप में यह दिन मनाते हुए संस्कृत भाषा को गहराई से समझने और आत्मसात करने के संकल्प भी युवा छात्रों में उभरे। परमार्थ गुरुकुल के छात्रावास में स्थित ‘विद्यार्थी सभागार‘ में आज पूर्वाह्नकाल में सभी ऋषि कुमारों ने एकत्रित होकर शिक्षकों का सम्मान करने, अपने खान-पान, रहन-सहन और आचरण-व्यवहार में परिष्कार लाने तथा ऋषिनगरी में प्रवास की अवधि को जीवन का सौभाग्य मानकर अपने भविष्य निर्माण के लिए सभी आध्यात्मिक एवं शैक्षिक प्रयास करने के संकल्प लिए। डा.सर्वपल्ली राधाकृष्णन् के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ छात्र अंकित शर्मा ने कहा कि आज मनी मेकिंग शिक्षा की नहीं, मैन मेकिंग शिक्षा की जरूरत है। अच्छा आदमी बन जाने पर धन व साधन स्वतः साथ आते हैं, क्योंकि उसके पास पुरुषार्थ, ज्ञान, अनुभव व जीवन जीने की कला की पूँजी होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षक की दृष्टि में छात्र उपवन की भाँति होते है।
आचार्य के विद्यार्थी दीपक शर्मा ने संस्कृत को प्राचीन और चिर नवीन भाषा बताते हुए देववाणी संस्कृत को जीवन के हर पक्ष में धारण करने का आह्वान युवा पीढ़ी से किया। छात्र मनोज कुमार ने अच्छे स्वास्थ्य, स्वाध्याय, सदाचार, सत्कर्म की प्रेरक व्याख्या की और विद्यार्थी समुदाय से श्रेष्ठ नागरिक बनने का प्रयास करने को कहा। परमार्थ निकेतन के वरिष्ठ प्रतिनिधि राम महेश मिश्र ने बताया कि गुरुकुल के विद्यार्थियों के लिए निकट भविष्य में महाविद्यालय में संस्कृत सम्भाषण शिविर का आयोजन किया जायेगा। सभा का संचालन डा. मोहन सिंह ने किया। इस अवसर पर डा. प्रिया सिंह सहित विभिन्न शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद थे।
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