ऋषिकेश। आज की भोर भारत के सांस्कृतिक व आध्यात्मिक इतिहास में ऐतिहासिक क्षण के रूप में अंकित हुई। यह वह पल थे जब हिन्दू धर्म विश्वकोष के अन्ततरराष्ट्रीय संस्करण का लोकार्पण अमेरिका में किया गया। कोलम्बिया स्थित साउथ कैरालाईना विश्वविद्यालय के परिसर में सम्पन्न इस कार्यक्रम में भारत के प्रख्यात सन्त व ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती ‘मुनि जी‘ की मौजूदगी में भारतवर्ष के प्रख्यात समाजसेवी व गाँधीवादी नेता श्री अन्ना हजारे, अमेरिकी स्टेट साउथ कैरोलाईना की राज्यपाल निक्की हेले, विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डा.हेरिस पेस्टीडस, भारतीय दूतावास के कौंसिल जनरल अजीत कुमार, कांग्रेसमैन जो-विल्सन, अमेरिकी सांसद, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर्स, विद्वत्जन एवं गण्यमान व्यक्ति मौजूद रहे। हिन्दू धर्म एवं वैश्विक इतिहास में पहली बार प्रकाशित इस हिन्दू धर्म विश्वकोष के प्रधान सम्पादक डा.केएल शेषगिरि राव और प्रबन्ध सम्पादक साध्वी भगवती सरस्वती ने भारत की ओर से अतिथियों, विद्वान मनीषियों आदि का स्वागत किया।
परमार्थ प्रवक्ता ने बताया कि इन दिनों विदेश प्रवास पर गए आश्रमाध्यक्ष श्री मुनि जी महाराज द्वारा भारतीय संस्कृति-विश्व संस्कृति के विस्तार व उससे लोगों को गहराई से जोड़ने के विविध प्रयत्नों सहित भारतवर्ष एवं उत्तराखण्ड के हित के कई उत्साहजनक प्रयास किए गए हैं। हिन्दू धर्म विश्वकोष, जिसका प्रथम चरण विगत हरिद्वार महाकुम्भ के समय विख्यात बौद्धगुरु श्री दलाईलामा के हाथों लोकार्पित हुआ था, की महापूर्णाहुति के अवसर पर उसके अन्तरराष्ट्रीय संस्करण का यह लोकार्पण इसी श्रृंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। बीस वर्षों में हिन्दू धर्म व संस्कृति से जुड़े भारत व दुनिया के लगभग एक हजार मान्य विद्वानों, प्रोफेसरों, अनुसंधानकर्ताओं, विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों के सहयोग से तैयार हिन्दू धर्म विश्व कोष में पहली बार भारत की महान आध्यात्मिक संस्कृति का अत्यन्त गहरा, विशुद्ध प्रामाणिक, शैक्षणिक पैमानों पर खरा, विज्ञानसम्मत व्यापक सारतत्व अब दुनियावासियों के लिए और विशेष रूप से हिन्दू संस्कृति के लोगों तथा अगली पीढ़ी के लिए उपलब्ध हो गया है। यह विश्वकोष लाखों-लाख वर्ष पूर्व के इतिहास, विज्ञान, कला, संस्कृति, संगीत, नृत्यकला, नाट्यकला, स्थापत्यकला, राजनीति, धर्म, दर्शन आदि का संक्षिप्त सारतत्व है। खास बात यह है कि यह हिन्दू धर्म विश्वकोष केवल हिन्दुत्व के ज्ञान-विज्ञान को ही प्रदर्शित नहीं करता, बल्कि इसमें हमारी आध्यात्मिक संस्कृति के समस्त पंथों, यथा- सिख, जैन, बौद्ध आदि की परम्पराओं को भलीभाँति समाहित किया गया है।
11 खण्डों एवं 07 हजार प्रविष्टियों वाले इस विशालकाय विश्वकोष का प्रकाशन श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती की अध्यक्षता वाले इण्डिया हेरिटेज रिसर्च फाउण्डेशन अर्थात् भारतीय संस्कृति शोध संस्थान द्वारा कराया गया है। मुद्रण का समस्त दायित्व अमेरिका के प्रसिद्ध संस्थान मण्डाला अर्थ पब्लिकेशन ने निभाया है। फाउण्डेशन प्रमुख श्री मुनि जी महाराज ने लोकार्पण अवसर पर कहा कि भारतीय संस्कृति, हिन्दू संस्कृति, अन्तदर्शन, शिक्षा, सत्य एवं ज्ञान केवल भारतीयों एवं हिन्दुओं तक सीमित नहीं है। भारत की महान संस्कृति ने दुनिया भर को मार्ग दिखाया है और यह विश्वकोष उसी की जरूरत को पूरा करते हुए भारतीय संस्कृति के उजले व अत्यन्त गहरे पक्षों का परिचय विश्वजनमानस को करायेगा। हमारे देश की प्राचीन व अनादिकालीन संस्कृति एवं विरासत की समृद्धता को संजोये इस विश्वकोष के माध्यम से भारतवर्ष की प्रतिष्ठा व गौरव गरिमा में आशातीत वृद्धि होगी। उन्होंने इस अद्वितीय कृति से जुड़े विद्वानों के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए आशा व्यक्त की विश्व मंगल के इस विश्वकोष का लाभ भारतवर्ष एवं संसार के विश्वविद्यालय, शोध संस्थान, पुस्तकालय एवं विशेष रूप से शिक्षक व छात्र उठा सकेंगे। आज का दिन और खास इसलिए है कि आज भारतीय संस्कृति के विश्वकोष में अपना हाथ लगाने के लिए विभिन्न धर्मों, पंथों, संस्कृतियों के मूर्धन्य व्यक्ति एकत्र हुए हैं और सबने भारतीय संस्कृति की महानता और इसके विश्वव्यापी विस्तार की जरूरत को समझा और अनुभव किया है।
डा.हेरिस पस्टीडस ने कहा कि हिन्दू धर्म विश्वकोष के अन्तरराष्ट्रीय संस्करण के लोकार्पण समारोह में शामिल होना उनके लिए उच्चस्तरीय सम्मान का विषय है। यह ग्रन्थ भारतीय संस्कृति से दुनियावासियों, विशेष रूप से अमेरिकावासियों को जोड़ेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि शिक्षित व सामान्यजन जीवन के विभिन्न पक्षों को और अधिक अच्छे ढंग से समझने में विश्वकोष से शिक्षण पा सकेंगे और हिन्दुत्व के सिद्धान्तों एवं व्यावहारिक प्रतिपादनों को और अधिक बेहतर ढंग से समझ सकेंगे। विश्वकोष की प्रबन्ध सम्पादक साध्वी भगवती सरस्वती ने इस महाग्रन्थ के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हुए अमेरिका से भारत में जाकर वहाँ की हिमालय जैसी ऊँची और सागर जैसी गहरी संस्कृति को अनुभूत कर उसे आत्मसात करने के अपने अनुभवों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिन्दू धर्म विश्वकोष को देखने, अध्ययन व अनुभव करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में खासा उत्साह देखने को मिला है। अमेरिका के शिकागो, न्यूयार्क, वाशिंगटन, कैलीफोर्निया, लुईविल केन्टकी सहित विभिन्न राज्यों व अन्य देशों के संस्थानों से भी इसकी मांग आई है। परमार्थ प्रवक्ता के अनुसार विश्वकोष को देखने के बाद लुईविल के मेयर श्री ग्रेग फिशर ने तोे आधिकारिक तौर पर एक वक्तव्य जारी करके अपने महानगर में ‘हिन्दू धर्म विश्वकोष दिवस‘ मनाने की भी घोषणा की है।
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