मुजफ्फरनगर (मनोज भाटिया)। पुण्य स्थली प्रणेता, भक्त वत्सल, गुरुदेव आचार्य श्री 108 पुण्य सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि जैन दर्शन का अष्टानिका पर्व प्रमुख पर्व है। अष्टानिका पर्व चमत्कारी पर्व है। इसमें सभी श्रावक-श्राविका देव सिद्ध प्रभु की आराधना में लीन हो जाते हैं। इस पर्व में ही श्रीपाल का कोण मैना सुंदरी ने अपनी भक्ति से दूर किया। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं मुसीबत बहुत बड़ी है। इस स्थिति में लोगों को चाहिए कि वह मुसीबत के पास जाकर कह दें कि भगवान तुमसे बहुत बड़ा है। सिद्ध प्रभु की आराधना से सभी काम सिद्ध होते हैं।
मुनि नमोस्तु सागर जी ने कहा कि मन एक मंदिर है। ‘म’ से मोक्ष और ‘न’ नरक। जीव अपने मन को जीतकर मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। अपने जीवन का कल्याण कर सकता है। इस मौके पर विनोद जैन, राजीव जैन, रवि जैन, हंस कुमार जैन, नीरज जैन, सुशील जैन, सुनील जैन, प्रदीप जैन, पवन अग्रवाल, अंकित जैन, संजय जैन, मोहित जैन आदि मौजूद रहे।
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