मुंबई। बॉलिवुड के पहले 'सुपरस्टार विलन' प्राण का निधन हो गया है। 93 वर्षीय प्राण ने 12 जुलाई की रात 8.30 बजे मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रह थे। प्राण को हाल ही में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक मुंबई के शिवाजी पार्क में शनिवार दोपहर 12 बजे उनका अंतिम संस्कार होगा।
93 वर्ष के प्राण हिंदी सिनेमा के सबसे चर्चित खलनायक रहे। उनकी रौबदार आवाज और अभिनय का अनोखा अंदाज एक समय फिल्म की सफलता की गारंटी माना जाता था। 12 फरवरी 1920 को पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके के एक धनी पंजाबी परिवार में जन्मे प्राण की शिक्षा कपूरथला, उन्नाव, मेरठ, देहरादून और रामपुर आदि जगहों पर हुई। प्राण के पिता लाला केवल कृष्णन सिकंद सरकारी नौकरी में थे। शुरुआती दिनों में प्राण फोटोग्रफर बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। एक फिल्म प्रड्यूसर के साथ अचानक हुई मुलाकात के बाद उन्हें 1940 में पहली फिल्म (पंजाबी) 'यमला जट' में ब्रेक मिला।
वहां से प्राण ने बतौर अभिनेता कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उसके बाद उन्होंने चौधरी (1941), खानदान (1942), कैसे कहूं (1945) और बदनामी (1946) आदि में काम किया। बंटवारे के बाद प्राण अपनी पत्नी शुक्ला, पुत्रों अरविंद और सुनील के साथ मुंबई वापस आ गए लेकिन उनके लिए यह समय आसान नहीं रहा। उन्हें काम पाने में तमाम मुश्किलें आईं। प्राण ने तो आशा ही छोड़ दी थी लेकिन तभी उर्दू के प्रसिद्ध लेखक मंटो ने उनकी मदद की। देव आनंद स्टारर 'जिद्दी' (1948) में उन्हें एक रोल मिला, जो उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। 1969 से 1982 तक प्राण हिंदी सिनेमा में लगभग हर हीरो के खिलाफ विलन की भूमिका में रहे। मधुमति, जिस देश में गंगा बहती है, राम और श्याम और देवदास जैसी फिल्मों के लिए प्राण को हीरो के बराबर पैसा और सम्मान मिला। विलन की भूमिका निभाते-निभाते एक ऐसा वक्त आया जब लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना छोड़ दिया। लोग उनके नाम से नफरत करने लगे। उसी दौरान 'उपकार' फिल्म में 'मंगल चाचा' की भूमिका निभाकर प्राण हर दिल अजीज बन गए। उनकी इस भूमिका ने लोगों की आंखों में आंसू ला दिए और वह रातोंरात विलन से चरित्र अभिनेता बन गए। इसके बाद प्राण 'जंजीर' में अमिताभ बच्चन के साथ 'शेर खान' और गुलजार की फिल्म 'परिचय' में एक अनुशासन प्रिय लेकर नरम दिल वाले दादा की भूमिका में नजर आए।
दिलीप कुमार, देव आनंद, राज कपूर, शम्मी कपूर, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन सभी बड़े सितारों के मुकाबले के विलन प्राण ही थे। राजेश खन्ना पहले सुपर स्टार हीरो थे, तो प्राण पहले सुपर स्टार विलन थे। बल्कि प्राण को मुंबइया सिनेमा का पहला और अंतिम सुपर स्टार विलन कहना कोई ज्यादती नहीं है। उन्होंने करीब 350 फिल्मों में ऐक्टिंग की। उनकी चर्चित फिल्मों में 'खानदान', 'औरत', 'बड़ी बहन', 'जिस देश में गंगा बहती है', 'हाफ टिकट', 'उपकार', 'पूरब और पश्चिम', 'डॉन' और 'जंजीर' शामिल हैं। उन्हें 2001 में भारत सरकार ने भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया (साभार)
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