बागपत (महबूब अली)। इसे लोगों की लापरवाही कहेंगे या फिर कुछ और कि जिले में प्रत्येक माह लगभग 500 लोगों के मोबाइल फोन गुम हो जाते है। जिनकी तहरीर पीडि़त थानों पर दी जाती है। ये हम नहीं खुद पुलिस विभाग के आंकड़े बता रहे हैं। चंद रुपये मिलने के बाद थाने पर तैनात मुंशी व अन्य पुलिसकर्मी बिना किसी जांच पड़ताल के ही तहरीर पर मोहर लगाकर व फर्जी हस्ताक्षर कर थमा देते हैं।
अब मोबाइल फोन के बिना लोग जीवन अधूरा से मानने लगे है। व्यस्तता के चलते आए दिन मोबाइलों के किसी न किसी स्थान पर गुम होने के मामले भी प्रकाश में आ रहे है। जिले में एक माह में 500 से अधिक लोगों के मोबाइल गुम हो जाते है। जिसमें कोई चोरी तो कोई जेब से अचानक निकलने की बात कहता है। दूसरा सिम निकलवाने व मोबाइल का मिस यूज रोकने के लिए पीडि़त मामले की तहरीर संबंधित थाने पर देता है, जहां पर रुपये मुंशी व अन्य की जेब में डालते ही एप्लीकेशन पर चंद सेकेंडों में मोहर लगाकर हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं। यदि पीडि़त पुलिसवालों की जेब नहीं भरता है तो उसे किसी नेता अथवा रसूखदार व्यक्ति से सिफारिश करानी पड़ती है। कई मामले तो एसे भी होते हैं, लोग मोबाइल फोन अपने पास होने के बाद भी गुम होने की तहरीर देते है। एसा नहीं है कि पुलिस अधिकारियों को इस बारे जानकारी नहीं है, मगर सबकुछ जानते हुए भी अफसर अनजान बने हुए हैं।
इस संदर्भ में एसपी राजू बाबू सिंह का कहना है कि वाकई में पिछले कई माह से मोबाइल गुम होने के मामले बढ़े है। पुलिसकर्मी यदि खुद हस्ताक्षर करते हैं तथा बिना जांच पड़ताल मोहर मारकर देते है तो इसकी जांच कराई जायेगी। जो भी दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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