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नाम मेरा दिन फकत चौबीस घंटे जिन्दगानी

डा.नारायणदास खन्ना नरेन्द्र की कविता संग्रह तिनके तिनके का विमोचन 
चेन्नईः
कौन कहता है नई है जन्म की मेरे कहानी, 
आज की कल की नहीं गाथा मेरी युग युग पुरानी।
मेरी गोद में पले हैं, फले फूले, 
गमके, चमके, सूर्य, शशि, खद्योत, तारक, सकल, वैभव आसमानी। 
बस यही परिवार मेरा, यही है मेरी निशानी, 
नाम मेरा दिन फकत चौबीस घंटे जिन्दगानी। 

लेखक डा.नारायणदास खन्ना नरेन्द्र की कविता संग्रह तिनके तिनके की ये चंद पक्तियां जिंदगी की सच्चाई को बयां करती है। सवारी डिŽबा कारखाना के महाप्रबंधक अभय खन्ना ने ये पक्तियां यहां पुस्तक के विमोचन के मौके पर पेश की। अवसर था आईसीएफ में आयोजित सेपिया इम्प्रींट्स आफ आईसीएफ ए फोटो जर्नी इन टाइम के उद्घाटन का। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि द हिन्दू के निदेशक एन.राम ने कहा कि यह प्रदर्शनी इस बेहतरीन संस्थान के इतिहास का दृश्य प्रस्तुत करता है। ब्लैक व ह्वाइट फोटो स्पष्ट, मूल्यवान और आकर्षक हैं। प्रत्येक फोटो विशेष गुणवत्ता लिए हुए हैं। ये तस्वीरें बोलती हैं इनमें एक संदेश हैं। यह कहानी कहती है। यह कहानी भारत के राष्ट्रीय विकास की कहानी है। प्रदर्शनी में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों को दिखाया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद, चाउ एन लाई, क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय जैसे विश्व स्तर के नेताओं ने सवारी डिŽबा कारखाने का दौरा किया है। आज के नेताओं को भी उसी राह पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रगति तभी होगी जब हम स्वयं मशीनें बनाएं, हां प्रोद्योगिकी का स्थानांतरण होना चाहिए। प्रशिक्षण, वर्कशाप, डिजाइन और प्रतिभा की पहचान आवश्यक है। हमें समय के साथ बदलना होगा और उत्पाद में बदलाव करना होगा। आईसीएफ ने अबतक 5,000 से भी अधिक डिजाइन तैयार किए हैं। उन्होंने कहा आर्ईसीएफ एक ब्रांड है और हमें इस विकास को जारी रखना है। कविता संग्रह तिनके तिनके की चर्चा करते हुए उन्होंने खन्ना प्रणाली व शार्ट हैण्ड की महत्ता बताई। महाप्रबंधक खन्ना ने कहा प्रदर्शनी में आईसीएफ के अतीत के स्वर्णिम पल को दिखाया गया है। सवारी डिŽबा कारखाना पं.जवाहरलाल नेहरू की देश को कोच निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने की दूरदर्शी सोच का नतीजा है। अबतक यहां 46 ,000 कोचों का निर्माण किया गया है। चीन के लोगों ने यहां आकर कोच के डिजाइन व निर्माण को देखा। तिनके-तिनके कविता संग्रह पर उन्होंने कहा ये कविताएं प्रेरणा की स्रोत हैं। राजस्थान पत्रिका, चेन्नई के संपादकीय प्रभारी शैलेश पाण्डेय ने कहा कि फोटो प्रदर्शनी को देखकर पता चलता है कि आईसीएफ के कर्मचारियों ने देश के यात्रियों के लिए कितनी मेहनत की है। भारतीय रेल देश को कश्मीर से कन्याकुमारी तक जोड़ता है। हम आप सभी के शुक्रगुजार है कि आप यहां यात्रियों की सुविधाओं के लिए बड़ी संख्या में डिŽबा बनाते हैं। उन्होंने कहा कि डा.नारायणदास खन्ना नरेन्द्र अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे उन्होंने 50 से अधिक पुस्तकें लिखी। ये पुस्तकें लोगों को प्रोत्साहित और उत्साहित करती हैं। इससे विचारों का मंथन होता है। द हिन्दू के निदेशक एन.राम की बोफोर्स कांड पर किए गए कार्य की सराहना करते हुए पाण्डेय ने कहा कि हम उस समय युवा थे और एन.राम हमारे हीरो थे। इससे पहले महाप्रबंधक के सचिव केएन बाबू ने सभी का स्वागत करते हुए कहा यह एक दुर्लभ फोटो प्रदर्शनी है। इसमें आईसीएफ के नींव, विरासत और इतिहास को दिखाया गया है। इसमें विकास यात्रा के साथ साथ कारखाने की अविस्मरणीय पल को तरोताजा किया गया है। चीफ मेकेनिकल इंजीनियर पंकज कुमार ने एबाउट आईसीएफ पुस्तक का विमोचन किया। इस दौरान महाप्रबंधक ने गोल्डेन मोमेन्ट्स (विजिटर बुक) का विमोचन किया। आईसीएफ के जनसंपर्क अधिकारी जी.सुब्रमण्यम ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी डा.डीएन सिंह व साहित्यकार ईश्वर करुण भी उपस्थित थे।
पुस्तक समीक्षाः तिनके-तिनके (कविता संग्रह)
लेखक-डा.नारायणदास खन्ना नरेन्द्र डा.नारायणदास खन्ना 
नरेन्द्र जिस तरह की कविता रचते हैं वह एक अलग संसार का रचाव होता है यानी हमारे आस पास की दुनिया का नितांत अनजाना सा प्रकटीकरण अपने यथेष्ट और संजीदा रूप में। तिनके-तिनके में शŽदों को बरतने का हुनर भी उन्हें कुदरत ने बाकमाल दिया है। उनमें हिन्दी की रवानी है। रूस में हिन्दी का प्रतिनिधित्व कर रूसी और हिन्दी के भाषाई गठबन्धन को सुदृढ़ करने वाले दिल्ली के प्रसिद्ध हिन्दी कवि खन्ना हिन्दी शीघ्रलिपि खन्ना प्रणाली के जनक थे। उन्होंने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के निजी सचिव के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में महती भूमिका का निर्वाह किया। वर्ष 2011 में उनका निधन हो गया। खन्ना साहब के काव्योद्यान से चुनकर संकलित किए गए ये तिनके भी उसी प्रकार मन को मोहने वाले है जैसे मन के मनके में मनकों की माला को पिरोया गया था। मन के मनके का प्रकाशन खन्ना के पुत्र अभय खन्ना के जोधपुर के मंडल रेल प्रबंधक रहने के दौरान हुई। इसमें भ्रष्टाचार पर उन्होंने करारा प्रहार किया है। अभय खन्ना वर्तमान में सवारी डिŽबा कारखाना के महाप्रबंधक हैं। खन्ना की कविताओं में वही सहजता, प्रवाह, संप्रेषणीयता और रमणीयता मिलती है जो स्वत: उद्भूत काव्य प्रेरणा से जन्मी रचना में मिलती है। कविताएं छन्दोबद्ध हैं, उनमें लय है, सहज प्रवाह है, अधिकांश में अन्त्यानुप्रास है। कुछतो गजल के ताने बाने में निबद्ध हैं, कुछरुबाई के, कुछ अन्य छन्दों के। उनकी भाषा भी व्यापक आधार लिए हुएहै, उसमें कहीं दुरूहता, अनगढ़ता या शुद्धि का दुराग्रह नहीं है। उनकी भाषा में संस्कृतनिष्ठ, तत्सम शŽद भी है जो हिन्दी की अपनी परंपरा के शŽद हैं। साथ ही हिन्दुस्तानी और उर्दू के शŽद भी जो हमारी रगों में बस गएहैं। यह सहजता और स्वत: उद्भूत प्रवाहमयता की ही देन है। उनकी कविताओं में विविधता है जो शिल्पगत, विषयगत और भाषागत है। साहित्य, कविता और शेरों शायरी के प्रेमियों के लिएयह कविता संग्रह बहुत उपयोगी है।
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