सिद्धार्थनगर (संजीव श्रीवास्तव)। जिले में मानसून ने दस्तक दे दी है। इससे कूड़ा-घोघी नदी के तट पर बसे दर्जनों गांव के हजारों ग्रामीणों की बेचैनी बढ़ गयी है। उन्हें केजी बांध की दयनीय स्थिति से डर लगने लगा है। 17 किमी का यह बांध कई स्थानों पर जर्जर है। ऊपर से गैप व रेनकट ने बांध की स्थिति को और अधिक भयावह बना रही है। हालांकि डीएम ने पहले ही जिम्मेदारों को बांधों का निरीक्षण कर उनकी बदहाल स्थिति को ठीक करने का आदेश दिया था, मगर उस आदेश का अब तक कहीं भी असर नहीं दिखायी दे रहा है।
आज से दो वर्ष पहले विकास खंड नौगढ़ और विकास खंड उसका बाजार के सैकड़ों गांवों को बाढ़ से बचाने के लिए 17 किमी लंबा केजी बांध बनाया गया था। इस बांध में सात गैपों पर रेगुलेटर लगाना था, मगर आज तक बांध ही पूरा नहीं हो पाया तो रेगुलेटर कैसे लगेगा। रेगुलेटर न लगने से यह गैप अब कई गांवों के लिए बर्बादी का कारण बन सकते हैं। मगर इससे जिम्मेदारों को कोई सरोकार नहीं है। उन्हें हर वर्ष बाढ़ का इंतजार रहता है। राहत के नाम पर आये करोड़ों रु.का बंदरबांट करने का इससे सही मौका कोई नहीं होता।
बताया जाता है कि क्षेत्र के मदरहना, बर्रोहिया खालसा, गनेरा, श्रीरामपुर, खजुरिया, विशुनपुर, डिहवा, सोहांस आदि गांवों के सामने आज भी गैप आसपास के गांवों के ग्रामीणों को गहरे चिंता में डाल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर बाढ़ आयी तो कई गांवों को नदी अपने साथ बहा ले जायेगी। गैप के अलावा बांध पर स्थित रेनकट की स्थिति को और भयानक बना रहे हैं। हालांकि डीएम एसपी मिश्रा ने संभावित बाढ़ के मद्देनजर एक माह पहले ही जिम्मेदारों की बैठक बुलायी थी। जिसमें उन्होंने पन्द्रह दिन के भीतर बांधों की स्थिति के बारे रिपोर्ट तलब की थी, मगर रिपोर्ट तो दूर कोई भी जिम्मेदार बांधों का जायजा लेने तक नहीं गया। मजबूर होकर डीएम को अतिरिक्त समय देना पड़ा।
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