चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस के विधायकों ने आकाली-भाजपा सरकार में मुख्य साझीदार आकाली दल द्वारा शिक्षा मंत्री सिकंदर सिंह मलूका की कथित शमूलियत वाले किताब घोटाले की केन्द्रीय टीम द्वारा जांच का विरोध किए जाने की निंदा की है। यहां जारी बयान में कांग्रेसी विधायकों केवल सिंह ढिल्लों, राणा गुरमीत सिंह सोढी, राणा केपी सिंह, मोहम्मद सदीक, हरचंद कौर, रणदीप सिंह नाभा, कुलजीत सिंह नागरा, गुरकीरत सिंह कोटली व अजीत इंदर सिंह मोफर ने कहा है कि सरकार अपने दागी मंत्री को बचाने के लिए हर कोशिश कर रही है। सभी नैतिक आधारों पर भ्रष्ट मंत्री को बचाने की कोशिश करके आकाली-भाजपा सरकार अपना असली चरित्र दिखा रही है। इन दोनों मौका परस्त सांझेदारों से और किसी बात की उम्मीद भी नहीं की जा सकती।
कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा विद्यार्थियों के भले के लिए भेजे फंडों में घोटाले की जांच करने का हर अधिकार है, लेकिन दल शर्मसार होने की बजाय इस जांच को संघीय ढांचे की आत्मा के विरूद्ध बता रहा है। एक तरफ आकाली-भाजपा सरकार किताब घोटाले की सही जांच करवाने को तैयार नहीं है, दूसरी ओर वह केन्द्रीय टीम के काम में बाधा डालना चाहती है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के पास अपने दागी मंत्रियों को हटाने की हिम्मत नहीं है। बादल को अपने सियासी दोस्त ओम प्रकाश चौटाला के इतिहास से सीख लेनी चाहिए, जो अपने शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार के चलते अपने दोस्त सहित तिहाड़ जेल में हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय टीम ने लाइब्रेरी किताबों, साइंस किटों, प्रैक्टिकल कापियों व मैप मास्टरों के टैंडरों को जारी करने में अनियमितताएं पाई हैं। कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि किताब घोटाले ने मुख्यमंत्री व उसकी टीम के चेहरों से पर्दा हटा दिया है। जिन्होंने बार्डर विकास फंड घोटाले में शामिल पशुपालन मंत्री को भी क्लीन चिट दे दी थी।
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