नई दिल्ली। रिजर्व बैंक और सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद रुपये में गिरावट थम नहीं रही। रुपया दिब-ब-दिन लगातार गिरावट के नए रेकॉर्ड बनाता चला जा रहा है। बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 1.77 फीसदी टूटकर 60.72 पर बंद हुआ है। एक बार तो रुपया 60.75 तक लुढ़क गया था। रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने 59.98 के स्तर पर डॉलर बेचे, लेकिन आरबीआई का यह कदम रुपये को संभालने में नाकाफी साबित हुआ। रुपये में यह लगातार गिरावट अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी मुसीबत का सबब बन सकता है। रुपये के अवमूल्यन से तेल का आयात और महंगा हो सकता है और तेल कंपनियां पेट्रोल की कीमत बढ़ाने के लिए मजबूर हो सकती हैं, जो आखिरकार महंगाई बढ़ाने में योगदान करेगा।
26 जून को रुपये ने 6 पैसे की हल्की गिरावट के साथ 59.72 के स्तर पर शुरुआत की थी। खुलने के बाद से ही रुपये पर दबाव नजर आ रहा था। लेकिन, दोपहर के बाद रुपये में गिरावट गहरा गई। गौरतलब है कि मंगलवार को रुपया 59.66 पर बंद हुआ था। गौरतलब है कि जून में ही रुपया 7 फीसदी टूटा है। वहीं, 1 मई से अब तक रुपये में 12 फीसदी की गिरावट आई है। हाल में आई रुपये की गिरावट की वजह डॉलर इंडेक्स में मजबूती आना है। 1 हफ्ते में डॉलर इंडेक्स 2.6 फीसदी चढ़ा है। सबसे चिंता की बात यह है कि अर्थशास्त्रियों ने रुपये में और गिरावट की आशंका व्यक्त की है। उनका कहना है कि रुपया 65 तक टूट सकता है। रुपये को सहारा देने के लिए आरबीआई और सरकार को कदम उठाने होंगे। हालांकि, रुपये की इस गिरावट से निर्यात आधारित उद्योगों को कुछ फायदा हो सकता है। (साभार)
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