ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन परिसर में गंगा तट पर आनन्द महोत्सव का विधिवत श्रीगणेश हो गया। आनन्द महोत्सव के प्रथम चरण में स्वामी शुकदेवानन्द ट्रस्ट के मुख्य प्रबन्ध ट्रस्टी महामण्डलेश्वर श्री स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी महाराज तथा षष्ठ गृह पीठाधीश्वर श्री द्वारकेश लाल जी महाराज आदि वरिष्ठ सन्तों की उपस्थिति में श्रीमद् भागवत कथा आरम्भ हुई। स्वामी द्वारकेश लाल जी महाराज एवं स्वामी असंगानन्द सरस्वती ने व्यासपीठ पर विद्वान कथावाचक मुखिया श्री हिमांशु शास्त्री को विराजमान कराया।
आचार्य हिमांशु शास्त्री ने श्रीमद् भागवत कथा का शुभारम्भ करते हुए कहा कि लोक शिक्षण की सरलतम प्रक्रिया के रूप में हमारे ऋषियों ने भागवत कथा की व्यवस्था समाज को दी। हमारे विद्वानों ने इस परम्परा को जीवन्त रखा है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा, पर्व, त्यौहार और संस्कारों की अबाध परम्परा ने भारतीय संस्कृति का जितना हित रक्षण किया है, वह स्वर्णाक्षरों में लिखने योग्य है। इससे जनमानस का परिष्कार करने और उसे उच्च आदर्शों से जोड़े रखने में बड़ी सहायता मिली है।
आनन्द महोत्सव कार्यक्रम के तहत आज सत्कार समारंभ हुआ। परमार्थ प्रवक्ता ने बताया कि 6 जून को श्रीमद् भागवत कथा के प्रमुख अंशों का लाभ श्रोता ले सकेंगे। 7 जून को कपिलोख्यान, ध्रुव चरित्र, 8 जून को प्रहलाद चरित्र, नृसिंह अवतार, 9 जून को राम जन्म, कृष्ण जन्म, नन्द महोत्सव, 10 जून को बाल लीला व गोवर्धन लीला, 11 जून को श्री रास लीला व रूकमिणी विवाह का संगीतमय विवेचन श्रोता सुन करेंगे। 12 जून को सुदामा चरित्र, परीक्षित मोह के बाद भागवत कथा विश्राम लेगी। इस बीच ठाकुर जी की शोभा यात्रा, श्री गंगाजी चुनरी मनोरथ, वृन्दावन शैली में विवाह खेल मनोरथ आदि के दर्शन होंगे। कथा का समय प्रातः 9 से मध्याह्न 12 बजे तक तथा अपराह्न 3 से 6 बजे तक होगा। 13 जून को श्री पुरूषोत्तम यज्ञ के साथ कथावाचक और उनकी टीम की विदाई होगी। महोत्सव में भाग लेने के लिए देश के कई राज्यों से सैकड़ों श्रद्धालु तीर्थनगरी पहुँच चुके हैं।
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