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सरबजीत की मौत के बाद शोक की लहर, तनाव

दिल्ली।सरबजीत सिंह की लाहौर के जिन्ना अस्पताल में मौत हो गई है। वे पिछले छह दिनों से कोमा में थे। लाहौर की कोट लखपत जेल में कैदियों के हमले में बुरी तरह जख्मी होने के बाद जीवन और मौत से वे संघर्ष कर रहे थे। सरबजीत सिंह का शव पोस्टमार्टम के बाद भारत सरकार के हवाले कर दिया जाएगा। सरबजीत की मौत के बाद पूरे देश में शोक व तनाव की स्थिति है। सरबजीत सिंह को 1990 में पाकिस्तान के लाहौर और फ़ैसलाबाद में हुए चार बम धमाकों के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया था। इन धमाकों में कम से कम 10 लोग मारे गए थे। पाकिस्तान में सरबजीत सिंह को मनजीत सिंह के नाम से गिरफ़्तार किया गया। अपने बचाव में सरबजीत ने तर्क दिया कि वो निर्दोष हैं और भारत के तरन तारन के किसान हैं। गलती से उन्होंने सीमा पार की और पाकिस्तान पहुंच गए। वर्ष 1990 में सरबजीत सिंह को मनजीत सिंह के नाम से भारत से लगती कौसर सीमा पर गिरफ्तार किया गया। सरबजीत पर जासूसी और बम धमाके कराने का आरोप लगा। लाहौर की एक अदालत ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई। 2006 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत की दया याचिका खारिज की। मार्च 2008 में सरबजीत सिंह ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के यहां दया याचिक दायर की, जो खारिज हो गई। 2012 में पाकिस्तान ने कहा कि सरबजीत सिंह रिहा होंगे, लेकिन बाद में बयान बदलते हुए कहा कि सरबजीत नहीं सुरजीत रिहा होंगे। तब सरबजीत सिंह ने राष्ट्रपति आसिफ जरदारी के पास नई दया याचिका दायर की। अप्रैल 2013 लाहौर की जेल में सरबजीत पर हमला हुआ। इससे सिर में गंभीर चोटों के बाद लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया। सरबजीत पर जासूसी के आरोप लगे। वर्ष 2011 में पाक में कैद सरबजीत सिंह का मामला एक बार फिर पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में जा पहुंचा। सरबजीत के पाकिस्तानी वकील ओवैस शेख़ ने असली आरोपी मनजीत सिंह के खिलाफ जुटाए तमाम सबूत पेश कर मामला फिर से खोलने की अपील की। वकील ओवैस शेख़ ने कोर्ट में दावा किया कि उनका मुवक्किल सरबजीत बेगुनाह है और वो मनजीत सिंह के किए की सजा काट रहा है। ओवैस शेख़ का कहना था सरबजीत को 1990 में मई-जून में कराची बम धमाकों का अभियुक्त बनाया गया है, जबकि वास्तविकता में 27 जुलाई 1990 को दर्ज एफआईआर में मनजीत सिंह को इन धमाकों का अभियुक्त बताया गया है। पाकिस्तान का कहना था कि सरबजीत ही मनजीत सिंह है जिसने बम धमाकों को अंजाम दिया था। सरबजीत के परिवारवाले भी कहते रहे कि वो एक निर्दोष किसान हैं और उनको भूल से कोई और समझकर पकड़ लिया गया है। इसके बाद से पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी उनकी बहन दलबीर कौर सरबजीत सिंह की रिहाई के लिए लगातार प्रयास करते रहे। (साभार बीबीसी)
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