ऋषिकेश। बात चाहे व्यक्ति से सम्बन्धित हो, किसी समूह से सम्बन्धित हो अथवा समाज व देश के बारे में हो, महापुरुष सदैव उनके हित की बात कहते हैं। किसी को प्रसन्न करने अथवा उन्हें अच्छा लगने या अच्छा नहीं लगने से उनके कथन का कोई सम्बन्ध नहीं होता। करोड़ों पुरुषों वाले समाज और देश में सर्वहित का चिन्तन व प्रयास करने वाले ऐसे व्यक्तियों को ‘महापुरुष‘ इसीलिए कहा जाता है। हमारा धर्म पोथियों के पन्नों में नहीं, महापुरुषों के आचरण के रूप में रहता है। हमारा धर्म है कि हम ऐसे रोल मॉडल महापुरुषों की तलाश करें और उनके आचरण को अपने जीवन में आचरित करें।
यह बात 22 मई को परमार्थ निकेतन के मुख्य द्वार पर स्थित विशाल सभागार में चौथे दिन के भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में बोलते हुए प्रख्यात भागवताचार्य सन्त श्री रमेश भाई ओझा ने कही। उन्होंने कहा कि जो समाज और देश महापुरुषों का सम्मान नहीं करता, उसका पतन हो जाता है। ईश्वरीय सत्ता के बारे में श्रोताओं को विस्तार से बताते हुए भाईश्री ने कहा कि भगवान किसी का कभी भी वध नहीं करते, वह केवल और केवल उनका उद्धार करते हैं। गायत्री महामन्त्र में ईश्वर के अनेक गुणों का उल्लेख करते हुए इसीलिए उन्हें ‘सदैव न्यायकारी‘ कहा गया है। मनुष्य को गुणों के भण्डारागार ऐसे ईश्वर की उपासना सदैव करनी चाहिए और उनके गुणों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
संगीतमय भागवत कथा सुनाते हुए श्री ओझा ने संगीत से स्वास्थ्य के गुर देश विदेश के कथाप्रेमियों को सिखाए। संगीत को एक कला बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे मन्दिर संगीत, नृत्य आदि अनेक कलाओं के पोषक व विस्तारक रहे हैं। उन्होंने कहा कि परमेश्वर हमारे भीतर श्रद्धा और विश्वास के रूप में निवास करते हंै, इन्हें जितना बढ़ाया जा सके उतना ही उत्तम है। भाईश्री ने नारायण के प्रत्यक्ष दर्शन के लिए नैमिषारण्य में अरण्य, ब्रदीनाथ में विशाला अर्थात् पर्वत, कुल्हाश्रम में सालिगराम शिला और पुष्करराज में जल की मान्यता बताई।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती ‘मुनि जी महाराज ने ऋषिनगरी ऋषिकेश में सन्त श्री रमेश भाई ओझा के आगमन एवं जनसामान्य को ज्ञानामृत चखाने के कार्यक्रम के लिए वाराणसी के जालान परिवार की सराहना की। उन्होंने कहा कि नैमिष सहित सभी तीर्थों में अरण्यों को बढ़ाने और गंगा सहित विभिन्न नदियों एवं अन्य जलस्रोतों के जल को विशुद्ध बनाये रखना आज सभी का प्रथम व प्रमुख कर्तव्य है। यह कर्तव्य पालन ही वास्तव में धर्म है, क्योंकि धर्म का मतलब ही ‘फर्ज‘ होता है। कथा का रसास्वादन करने वाले धर्मप्रेमियों में प्रख्यात फिल्म अभिनेता एवं भोजपुरी गायक श्री मनोज तिवारी, साध्वी भगवती सरस्वती, स्वर्गाश्रम के प्रबन्धक श्री एस0 के0 राय, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस गिरधर मालवीय सहित कई गण्यमान व्यक्ति मौजूद थे।
सायंकाल आयोजित कवि सम्मेलन में हास्य कवि श्री सुरेन्द्र शर्मा की रचनाओं ने उपस्थित जनसमुदाय को लोटपोट किया। कवि सम्मेलन में सर्वश्री बिजेन्द्र सिंह परवाज, ऋतु गोयल, महेन्द्र अजनबी, सम्पत सरल और रमेश शर्मा ने भी अपनी रचनायें सुनाईं।
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