नई दिल्ली। जिस समय संप्रग सरकार नौ वर्ष के कार्यकाल का जश्न मनाने की तैयारी कर रही है, उस वक्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल पूरा करने पर उठ रहे सवालों ने सरकार और कांग्रेस दोनों को असहज कर दिया है। संगठन और सरकार में मतभेद की खबरों ने प्रधानमंत्री को भी आहत कर दिया। संप्रग की उपलब्धियों के सहारे चुनावी तैयारियां तेज करने जा रही कांग्रेस ने इसके दुष्परिणामों को देखते हुए नुकसान भरपाई की कोशिशें तेज कर दीं और ऐसी खबरों को सिरे से खारिज किया। मतभेद और प्रधानमंत्री के हटने की खबरों का खंडन करने के लिए कांग्रेस महासचिव एवं मीडिया विभाग के चेयरमैन जनार्दन द्विवेदी को दोबारा सफाई देनी पड़ी। पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री बदलने के कयासों को खारिज करते हुए जनार्दन द्विवेदी ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि 2014 के लोकसभा चुनाव तक पीएम पद पर मनमोहन सिंह ही रहेंगे। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह में कोई मतभेद नहीं है।
इससे पहले भी सोनिया-मनमोहन के बीच मतभेद की खबरों को खारिज करते हुए कांग्रेस ने पवन कुमार बंसल और अश्विनी कुमार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने को दोनों का संयुक्त फैसला बताया था। कांग्रेस ने इन रपटों को खारिज किया कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के जोर देने पर उक्त कार्रवाई की गई थी। सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने भी दोनों मंत्रियों को हटाने में मतभेद को नकारा। साथ ही यह भी जोड़ा कि संप्रग सरकार की तीनमूर्ति है, जिसमें सोनिया, मनमोहन और राहुल गांधी हैं। दरअसल, अश्विनी कुमार और पवन बंसल के इस्तीफे जिस नाटकीय घटनाक्रम के बाद हुए, उसके बाद से प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी के बीच मतभेदों की खबरें तूल पकड़ गई। वैसे संगठन ने भी इस बात के संकेत दिए थे कि दोनों मंत्रियों को हटाने में देरी नहीं करनी चाहिए। फिर सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के प्रधानमंत्री आवास जाने के बाद ही दोनों के इस्तीफे हुए। (साभार)
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