उमेश शुक्ल, मैहर। गर्मी की तपिश और पहाड़ से उठती झुलसा देने वाली हवा के बीच 24 मई की सुबह से ही मां शारदा धाम के रोपवे के डिब्बे स्टैंड से बाहर निकलते ही ठिठक गए। संचालकों ने आपसी विचार-विमर्श के बाद इसे दिन के प्रथम प्रहर में न चलाने का निर्णय लिया। उधर, वैवाहिक समारोहों के एक चरण के रूप में आए दर्शनार्थी कभी रोपवे के डिब्बों और कभी धाम की कमोबेश एक हजार से ऊपर सीढ़ियों की ओर निहारते नजर आए। मजबूरी भी थी और आस्था भी। तलवे भी जल रहे थे और पगड़ी भी। उत्साह कमतर होता नजर आ रहा था। आध्यात्मिक भक्तों ने मां के चरणों को पहली सीढ़ी में ही पा लिया। मात्था टेका, मान-मनुहार की और फिर आने के इरादे से लौट गए। दूसरी ओर अन्य भक्तों ने रोपवे संचालन व्यवस्था को भी दोषी ठहराया। आस्था उमड़ी और सीढ़ियों पर कदम एक-एक कर चढ़ पड़े।
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