अलका मिश्रा झा, देहरादून। महत्वाकांक्षी जमरानी बांध परियोजना को लेकर लगभग 40 वर्षों से चल रहा गतिरोध समाप्त होने जा रहा है। उत्तर प्रदेश् और उत्तराखंड ने संयुक्त रूप से इस बांध के निर्माण को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। केन्द्रीय जल आयोग सम्पूर्ण निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग करेगा। प्रदेश सचिवालय में आयोजित दोनों राज्यों और केन्द्रीय जल आयोग के अधिकारियों की बैठक में इस योजना पर सहमति बनी है।
हल्द्वानी में जमरानी नदी पर वर्ष 1975 से ही एक बांध के निर्माण का प्रस्ताव विचाराधीन है। इस बांध से यूपी और उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र को जहां बिजली मिलने का प्रावधान है, वहीं कई जनपदों को सिंचाई एवं पेयजल आपूर्ति कराने की योजना है। कतिपय कारणों से यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पा रहा था। अब केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय की पहल पर इस परियोजना को अमलीजामा पहनाने की कवायद तेज हो गई है। इस बाबत उत्तराखंड के मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने 21 मई को अध्यक्ष केन्द्रीय जल आयोग, राकेश कुमार और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से विचार-विमर्श कर बैठक में परियोजना का टाइम फ्रेम तय किया। बैठक में तय हुआ कि तीन दिन में उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग केन्द्रीय जल आयोग की आपत्तियों का निराकरण करेगा। 7 जून तक परियोजना की नई डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बन जायेगी। एक महीने में पहले चरण का और जुलाई तक दूसरे चरण का फारेस्ट क्लियरेंस (एफआईए) मिल जायेगा।
यह भी तय हुआ कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड मिलकर जमरानी बांध का निर्माण करेंगे। पानी और व्यय की हिस्सेदारी का निर्णय दोनों राज्य आपस में मिलकर कर लेंगे। किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में केन्द्रीय जल आयोग हस्तक्षेप करेगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि जमरानी बांध परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का अनुरोध केन्द्र सरकार से उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड सरकार करेगी। बैठक में बांध की लागत का 90 प्रतिशत वहन केन्द्र सरकार से करने का अनुरोध किया गया। शेष 10 प्रतिशत दोनों राज्य मिलकर करेंगे। इसके साथ ही व्यय और लाभ की हिस्सेदारी पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड राज्यों में नये सिरे से करार किया जायेगा। मुख्य सचिव ने कहा कि परियोजना के प्रगति की समीक्षा उनके स्तर पर हर महीने की जायेगी। दोनों राज्यों के मुद्दों का निराकरण आपसी तालमेल से किया जायेगा। बैठक में पीसीसीएफ डॉ़ आरबीएस रावत, प्रमुख सचिव उद्योग राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव वन एस रामास्वामी, सचिव सिंचाई कुणाल शर्मा, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकारीगण सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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