हरिद्वार (नरेश दीवान शैली)। निकटवर्ती ग्राम फेरुपुर में ज्ञान दायिनी शिक्षा प्रसार सभा द्वारा फेरु पुर डिग्री कालेज का लोकार्पण केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत द्वारा किया गया। समारोह पूर्वक हुए इस कार्यक्रम का शुभारम्भ स्थानीय इंटर कॉलेज की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना के साथ किया गया। इससे पहले हरीश रावत ने शिलापट्ट अनावरण कर विधिवत कालेज का लोकार्पण किया। उनके साथ विशिष्ठ अतिथि के रूप में बड़ा अखाडा के श्रीमहंत रघुमुनी, महंत मोहनदास जी कोठारी व अन्य संत एवं अतिथिगण शामिल रहे। कालेज निर्माण में सहयोग करने वाले ज्ञान दायिनी संस्था के अध्यक्ष बलेश भार्गव, अवधेश भार्गव, विजय कुमार सेठी, उत्तम सिंह चौहान, ललित सचदेवा, सुंदर दास, दाऊ दयाल अग्रवाल, मनोज अग्रवाल, सुनील बत्रा, अतुल जिंदल, पियूष जैन, प्रद्युम्न अग्रवाल को रावत ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अंत में अपने संबोधन में रावत ने कहा की शिक्षा के लिए सहयो ग करना व अनुकरणीय कार्य होता है। समाज के उत्थान के लिए किये गए ऐसे कार्यों से अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलती है। इससे आत्मिक सुख की अनुभूति भी होती है। अध्यक्षीय उद्बोधन में कोठारी मोहन दास ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत ने किया डिग्री कालेज का लोकार्पण
हरिद्वार (नरेश दीवान शैली)। निकटवर्ती ग्राम फेरुपुर में ज्ञान दायिनी शिक्षा प्रसार सभा द्वारा फेरु पुर डिग्री कालेज का लोकार्पण केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत द्वारा किया गया। समारोह पूर्वक हुए इस कार्यक्रम का शुभारम्भ स्थानीय इंटर कॉलेज की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना के साथ किया गया। इससे पहले हरीश रावत ने शिलापट्ट अनावरण कर विधिवत कालेज का लोकार्पण किया। उनके साथ विशिष्ठ अतिथि के रूप में बड़ा अखाडा के श्रीमहंत रघुमुनी, महंत मोहनदास जी कोठारी व अन्य संत एवं अतिथिगण शामिल रहे। कालेज निर्माण में सहयोग करने वाले ज्ञान दायिनी संस्था के अध्यक्ष बलेश भार्गव, अवधेश भार्गव, विजय कुमार सेठी, उत्तम सिंह चौहान, ललित सचदेवा, सुंदर दास, दाऊ दयाल अग्रवाल, मनोज अग्रवाल, सुनील बत्रा, अतुल जिंदल, पियूष जैन, प्रद्युम्न अग्रवाल को रावत ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अंत में अपने संबोधन में रावत ने कहा की शिक्षा के लिए सहयो ग करना व अनुकरणीय कार्य होता है। समाज के उत्थान के लिए किये गए ऐसे कार्यों से अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलती है। इससे आत्मिक सुख की अनुभूति भी होती है। अध्यक्षीय उद्बोधन में कोठारी मोहन दास ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।