पटना। बिहार सरकार राज्य में कृषि विभाग में नियुक्त विषय वस्तु विशेषज्ञों के साथ सरेआम धोखाधड़ी पर उतारु है। इससे करीब सवा दो हजार विषय वस्तु विशेषज्ञों को नौकरी के लाले पड़ने वाले हैं। राज्य सरकार और उसके अधिकारियों की वजह से पैदा हुई इस समस्या के कारण पूरे राज्य में आक्रोश की स्थिति है। अपने साथ हो रहे अन्याय से आंदोलित इन विषय वस्तु विशेषज्ञों ने कुछ भी कर गुजरने की ठान ली है। अपने खिलाफ हो रहे फैसले से खफा विषय वस्तु विशेषज्ञों ने बताया कि 27 जनवरी 2011 को एसके मेमोरियल हाल में श्रीविधि से धान की खेती का शुभारंभ हुआ था। इसके उद्घाटनकर्ता मुख्यमंत्री थे। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह व अन्य मंत्री बतौर अतिथ मौजूद थे। उस समय तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक कुमार सिन्हा, कृषि सचिव सीके अनिल, निदेशक अरविंदर सिंह समेत भारी संख्या में विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे। इसमें राज्य के सवा दो हजार नवनियोजित विषय वस्तु विशेषज्ञ और सभी जिलों के कृषि पदाधिकारी व सभी संयुक्त कृषि निदेशक मौजूद थे। इसी दरम्यान घोषणा हुई थी कि जो उन्हें वेतन साढ़े आठ हजार मिल रहा है उसे पंद्रह हजार किया जा रहा है।
श्रीविधि हिट तो नौकरी फिट
विषय वस्तु विशेषज्ञों के समक्ष अफसरों और नेताओं ने नारा दिया था कि श्रीविधि हिट तो नौकरी फिट। यानी कृषि महकमे के लिए लागू योजना श्रीविधि यदि सफल हो जाती है तो विषय वस्तु विशेषज्ञों की नौकरी कथित तौर पक्की हो जाएगी। यानी किसी का कुछ नहीं बिगड़ेगा। इसकी सफलता पर सभी योग्य विषय वस्तु विशेषज्ञों को प्रखंड कृषि पदाधिकारी बनाया जाएगा। जो तीन वर्ष तक जारी रहा। अब स्थिति ये है कि वहां से आने के बाद विषय वस्तु विशेषज्ञों ने पूरे जोरों पर काम किया। इसी वजह से धान की फसल का रिकार्ड उत्पादन हुआ। राज्य को राष्ट्रपति पुरस्कार मिला। धान के उत्पादन के लिए बिहार का पूरी दुनिया में डंका बजा। आसपास के राज्यों के किसानों ने यहां से प्रशिक्षण लेना शुरू किया। इसी क्रम में इन विषय वस्तु विशेषज्ञों से अन्य सरकारी कार्य भी लिए गए। साथ ही यह बताया गया कि विषय वस्तु विशेषज्ञों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है। अब तीन वर्ष बाद इन्हें अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के नियोजन रद्द करने का आदेश दिया गया है। इससे ये विषय वस्तु विशेषज्ञ खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। विषय वस्तु विशेषज्ञों का कहना है कि आरंभिक दौर में लंबी-चौड़ी घोषणाएं करने वाले अफसर व नेता अब चुप्पी साधे हुए हैं। कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
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