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विदेशों में भी धूम मचाएंगी बागपत के विपुल की कलाकृतियां

चावल जैसे सूक्ष्म दानों पर चित्रकारी करने में माहिर हैं विपुल जैन, कई संस्थाओं ने किया है पुरस्कृत 
 बागपत (महबूब अली)। चित्रकार विपुल जैन एक के बाद एक सफलता की सीढ़ी चढ़ता जा रहा है। अब तो उसकी कलाकृति के विदेशी भी दीवाने हो गये हैं। विदेशियों द्वारा उसके पास कलाकृतियों को भेजने की लगातार सिफारिशें आ रही है, जिससे विपुल काफी गदगद है। जल्द ही उसकी कलाकृतियों के कई सैम्पल विदेश जाएंगे। सरसों, चौलाई व चावल के दानों पर चित्र उकेरना और लिखना विपुल की आदत में शुमार हो चुका है। बिना किसी सरकारी सहायता व सुविधा के अभी तक वह देश की प्रमुख हस्तियों के नाम नाम चावल के दानों पर लिखकर उन्हें भेंट कर चुका है। मूल रुप से बागपत शुगर मिल कालोनी के रहने वाला विपुल जैन वह शख्सियत है जो अंजान रहकर भी अपनी तूलिका की बदौलत अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहा है। टीवी पर चल रहे एक कार्यक्रम को देखकर उनके मन में अलग हटकर कुछ करने का विचार आया। लीक से अलग हटकर सोचा तो छोटी वस्तुओं पर चित्र उकेरने का विचार आया। अब से तकरीबन छह वर्ष पूर्व वह इसी मिशन में जुट गया। शुरु में तो उसे काफी दिक्कतें आई, लेकिन बाद में उन्हें सफलता मिलती चली गई। फिर देश की कई प्रमुख हस्तियों को उनके नाम चावल के दानों पर लिखकर भेंट किए। जगह-जगह उन्हें पुरस्कृत किया गया। जिससे उनका हौसला बढ़ता चला गया। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान नवाब मंसूर अली खां पटौदी, अन्तरराष्ट्रीय दार्शनिक शिवखेड़ा, बागपत की तत्कालीन डीएम कामिनी चौहान रतन, एसपी दीपक कुमार, आंखों देखी टीवी चैनल की पत्रकार नलिनी सिंह समेत काफी लोगों को उनके नाम चावल के दाने पर लिखकर दिये। फिलहाल विपुल जैन चित्रकारी में पारंगत हो चुके हैं और चावल के दाने पर नाम लिखना उनके बांये हाथ का खेल है। समाज का हर कोई उनकी चित्रकारी का दीवाना है। अन्तरराष्ट्रीय संस्था लायंस क्लब द्वारा विपुल जैन को पुरस्कृत किया जा चुका है। इसके अलावा अन्य सामाजिक संगठनों तथा स्कूल-कालेजों में होने वाले बड़े-बड़े कार्यक्रमों में भी विपुल जैन को सम्मानित किया जाता है।

  बागपत वातायन टू में भी दिखेंगे विपुल 
अन्तरराष्ट्रीय चित्रकार विपुल जैन की कलाकृति जल्द ही बागपत वातायन टू में भी होगी। बागपत जिले की कला संस्कृति पर प्रकाशित होने वाली इस पुस्तक में उनकी कला को भी स्थान दिया गया है, सभी के लिए गौरव की बात है। विपुल जैन अपनी कला को लेकर सभी के दिलों में छाये हुए हैं। यह पुस्तक एमएम डिग्री कालेज खेकड़ा के पूर्व प्राचार्य डॉ.महेन्द्र नारायण शर्मा द्वारा लिखी जा रही है। वह अभी तक देश के बारह लोगों को पीएचडी का चुके हैं। इस पुस्तक में लोग बागपत की कला संस्कृति व सभ्यता के दर्शन कर सकेंगे। इसमे यहां की छुपी प्रतिभाओं से लेकर जिले के मंदिर-मस्जिद व पुरातात्विक महत्व की चीजों को प्रकाशित किया जाएगा। पुस्तक कार्य अंतिम चरण में चल रहा है और जल्द ही यह पुस्तक जनता के बीच में होगी। इस पुस्तक को देश के अनेक स्कूल-कालेजों की लाइब्रेरी में रखा जाएगा, ताकि विद्यार्थी इस पुस्तक का अध्ययन कर यहां की कला कला-संस्कृति को जान सकें।
दूसरों की भावनाओं का भी सम्मान करें कलाकारः विपुल 
चित्रकारों को अपनी कल्पनाओं को रंगों में उतारते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी कला से देश में सद्भाव का वातावरण पैदा हो और किसी दूसरे की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। उन्हें सभी की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। यह बातें अंतरराष्ट्रीय चित्रकार विपुल जैन ने कही। उन्होंने कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हम अपनी कलाकृति से दूसरों की भावनाओं को आहत करें। कला संस्कृति का दर्पण है। प्राचीन काल से ही कला धर्म का अभिन्न अंग रही है। बौद्ध आर्ट, जैन आर्ट और हिन्दू कला इसके नमूने आज भी देखे जा सकते हैं। मुगलकालीन कला भारतीय कला के इतिहास में अपनी अलग पहचान बनाकर उभरी है। भारत की चित्रकला को यूरोपीय कला के सामान दर्जा प्राप्त है। विपुल जैन ने कहा कि उन्होंने बहुत से कलाकारों को देखा है, जिन्होंने किसी भी संस्था से शिक्षा नहीं ली, लेकिन वह अपनी कला से ऊंचाईयों को छु रहे हैं। जिनमें से वह भी एक हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी कार्य सच्ची लग्न व मेहनत के साथ किया जाये तो सफलता निश्चित मिलती है।                 
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