अलका मिश्रा झा, देहरादून। सूचना तकनीक के विकास के साथ ही जिस तरह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य गांव तक पहुंचने लगे हैं, उसी हिसाब से जनमत भी बनने लगा है। स्थानीय चुनाव का मुद्दा हमेशा स्थानीय ही रहता आया है, परंतु उत्तराखंड के निकाय चुनाव में जिस तरह कांग्रेस को करारी हार मिली है, उससे साफ है कि प्रदेश सरकार की नकामी, महंगाई और केन्द्र सरकार की विदेश नीति की असफलता ने निकाय चुनाव को प्रभावित किया है, क्योंकि इस मुद्दे पर उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश की जनता कांग्रेसी नीतियों से असहमत है। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने जहां इन चीजों को अपना चुनावी हथियार बनाया वहीं कांग्रेसी इन मुद्दों पर ठीक से सफाई भी नहीं दे सके।
निकाय के लिए मतदान से ठीक एक सप्ताह पहले इको सेंसिटिव जोन का मुद्दा सियासी फिजां में उछला। लगभग पूरे उत्तरकाशी जनपद को इको सेंसिटिव जोन में तब्दील करने संबंधी इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार ने दिसम्बर माह में ही गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। आश्चर्यजनक रूप से यह मामला दबा रहा और जब निकाय चुनाव शुरू हुआ तो इसे हवा दे दी गई। इको जोन का प्रस्ताव केन्द्र में काफी समय से विचाराधीन था और प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के साथ ही मौजूदा कांग्रेस सरकार ने भी इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बावजूद केन्द्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया। अभी यह बात दावे से नहीं कही जा सकती कि इको जोन से प्रदेश का विकास प्रभावित होगा। इसके बावजूद जनता में कुछ ऐसा ही संदेश गया और सीएम समेत कांग्रेस के सभी धुरंधर इस मुद्दे पर सफाई देते रहे। कुल मिलाकर यह मान लिया गया कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने राज्य के विकास से ही समझौता कर लिया। इससे पहले भाटी आयोग पर सरकार ने जिस तरह यू टर्न लिया और पिछले दरवाजे से भूमाफियाओं के लिए लैंड यूज की नियमावली तैयार करने की साजिश की, उससे प्रदेश सरकार आम जनता की नजरों में विलेन बनती गई। सिडकुल में जमीन आवंटन को लेकर भी भाजपा ने सरकार को घेर लिया। इसी तरह घरेलू गैंस को लेकर हो रही मारामारी और पेट्रोल तथा डीजल के मूल्यों के साथ ही अन्य तमाम चीजों की महंगाई भी कांग्रेस की गले ही हड्डी बनती गई। निश्चित रूप से इन मामलों का स्थानीय निकाय चुनाव से कोई मतलब नहीं है। चूंकि केन्द्र और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है इस कारण स्थानीय जनता अपने सभी कष्टों का कारण कांग्रेस को मानने लगी है। इसका असर तो होना ही था। सिर्फ महंगाई ही नहीं विदेश नीति को लेकर भी कांग्रेस पर उंगली उठने लगी है। उत्तराखंड में निकाय चुनाव के दौरान ही लद्दाख में चीनी घुसपैठ हुआ और पाकिस्तानी जेल में सरबजीत पर जानवेला हमला हुआ। इन दोनों मामलों में भारत की विदेश नीति हवा में हिचकोले खाती नजर आई। खासकर इलेक्ट्रानिक और साइबर मीडिया ने इन दोनों विषय पर कांग्रेस के खिलाफ रुख तैयार किया। इन तमाम कारणों से प्रदेश की जनता में कांग्रेस सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ता गया और प्रदेश का निकाय चुनाव कांग्रेस के खिलाफ गया।
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