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रामगढ़ताल सौंदर्यीकरण : सपना साकार होने के दिन हुए करीब

आशुतोष मिश्र, गोरखपुर। सचमुच समय ने गोरखपुर की परवाज रोकी। तब मुख्यमंत्री के रूप में बीरबहादुर सिंह ने रामगढ़ताल और गीडा के नाम से नए रूप में गोरखपुर का सपना देखा था। मगर तब ऐसा नहीं हो पाया। अब रामगढ़ताल के दिन बहुरने हैं। सरकार ने फिर ताल सौन्दर्यकरण के लिए धन जारी किया है। परियोजना पूरा करने के लिए 7.24 करोड़ अवमुक्त किया है।

गोरखपुर के विकास की चर्चा में बीरबहादुर सिंह का नाम शिद्दत के साथ लिया जाता है। वर्ष 2008 में रामगढ़ताल को सुंदर और साफ रखने की योजना की कवायद शुरू हुई। तब राज्य सरकार की कैबिनेट में मंत्री रहे फतेहबहादुर सिंह ने रामगढ़ताल के सवाल पर अपनी प्रतिबद्धता दुहराई। भारत सरकार की ओर से भी इस परियोजना में दिलचस्पी दिखाई गई, जब जाकर ताल के सौन्दर्यीकरण का रास्ता साफ हुआ। मगर एक साल बाद इस परियोजना के पांव में सुस्ती की चक्की बंध गई।
प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो क्षेत्रीय जनप्रनिधियों की मेहनत के बाद केद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास का फलीभूत होना शुरू हुआ है। प्रदेश सरकार की उदासीनता का भी दंश इस काम को झेलना पड़ा। अब फिर काम में तेजी आई है। महानगर के कचरा निस्तारण के साथ ताल के पानी को साफ रखने का प्रयास शुरू हुआ है। ताल की गहराई बढ़ाने के साथ बांध निर्माण का कार्य शुरू है। वाटर ट्रिटमेंट प्लांट की स्थापना की गति तेज हुई है। गोरखपुर की पहचान में शुमार इस परियोजना के मूर्त होने के बाद महानगर की सूरत संवरने की आस में हैं।



वेटलैण्ड बनेगा
गोरखपुर। ताल का पानी साफ रहेगा और किनारों पर रोपे गए फूल के पौधों के इर्द-गीर्द खुशबू महकेगी। मेहमान पक्षी आएं इसके लिए भी वन विभाग और ताल के रखरखाव के प्रति फिक्रमंद रहने वाले योजना के साथ पेश आएंगे। दो टूक यह कि विदेशी मेहमानों के आगमन का पूरा प्रबंध यहां रहेगा। वेटलैण्ड बनगा, जहां पर पक्षियों के रहने और वंश वृद्धि का वातावरण तैयार किया जाएगा। बांध पर पक्षियों को आकर्षित करने का प्रयास होगा। पानी के बीच मेहमानों के रहने और शैलानियों के उस ओर आकर्षित होने के अवसर तैयार किए जाएंगे। ताल की गहराई बढ़ाने की योजना पर काम शुरू है।

अब तक मिल गए 80 करोड़ रुपए
गोरखपुर। रामगढ़ ताल के सौन्दर्यीकरण का पूरा प्रोजेक्ट करीब चार सौ करोड़ रुपए का है। मगर भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने अभी 124 करोड़ रुपए का ही प्रस्ताव पास किया है। ताल के बचाव, महानगर के कचरे से उसे बचाने के प्रयास और ताल के पानी का स्वच्छ रखने के संकल्प पर पैसे खर्च होगे। परियोजना वर्ष 2013 के अंत तक ही पूरा होना था, लेकिन अभी कार्य एक साल के बाद ही पूरा हो पाएगा। परियोजना प्रबंधक ओपी सिंह का कहना है कि भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त पहल का परिणाम यह प्रोजेक्ट है। अब तक करीब 80 करोड़ रूपए मिले हैं। कार्य प्रगति पर है। वाटर ट्रिटमेंट प्लांट के साथ कचरा प्रबंधन के लिए वेस स्थापना का कार्य प्रगति पर है। शासन ने दो रोज पहले 7.24 करोड़ रुपए की किस्त अवमुक्त किया है। परियोजना पूरा होने में अभी और समय लगेगा। सरकार से समय विस्तार का अनुरोध किया जा चुका है।

(साभार)
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