
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बिहार को दी जाने वाली विशेष आर्थिक मदद में इजाफे का ऐलान किया है। दिल्ली में आर्थिक मामलों की केंद्रीय कैबिनेट कमेटी के फैसले के मुताबिक पिछड़े इलाकों को दी जाने वाली मदद के तहत बिहार को 12 हजार करोड़ रुपये दिए जाएंगे। जेडीयू ने इस पैकेज को अपनी पहली जीत तो बीजेपी ने ऊंट के मुंह में जीरा करार दिया है।
यूपीए सरकार नीतीश कुमार पर मेहरबान है। शायद यही वजह है कि आर्थिक मामलों की केंद्रीय कैबिनेट कमेटी ने बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड के तहत बिहार को मिलने वाली रकम 5700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 12 हजार करोड़ रुपये कर दी है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत ये रकम बिहार को बाकि बची 4 किस्तों मे दी जाएगी। बीजेपी और जेडीयू की बढ़ती तल्खी के बीच इसे केंद्र सरकार की नीतीश को लुभाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि सरकार इससे साफ इनकार कर रही है। सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि हर प्रशासनिक फैसले को सियासत से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। गौरतलब है कि बिहार को विशेष राज्य की मांग के साथ नीतीश कुमार ने हाल में दिल्ली में रैली की थी। कांग्रेस से सियासी सौदेबाजी के अंदाज में उन्होंने यहां तक कहा था कि जेडीयू बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले के साथ हाथ मिला सकती है। अब जेडीयू 12 हजार करोड़ के पैकेज को पहली जीत बता रही है। बीजेपी इस पैकेज में छिपा सियासी संदेश समझ रही है। लिहाजा पार्टी इसे बिहार को केंद्र का लॉलीपॉप करार दे रही है। इस बीच गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पार्टी की बिहार इकाई से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक बिहार के बीजेपी नेताओं की तनातनी के बावजूद आलाकमान ने साफ किया है कि बीजेपी मोदी की पेशबंदी से पीछे तो नहीं हटेगी लेकिन गठबंधन तोड़ने की पहल भी नहीं करेगी। (साभार)
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