बस्ती। एनआरएचएम में घोटाले के अंतर्गत ही वर्ष 2011 में स्कूल हेल्थ प्रोग्राम के तहत प्रदेश भर में हुई आयरन गाली की खरीद में भी खेल करने का मामला सामने आया है। जिस आयरन की दस गोली की कीमत आज भी आरसी में 54 पैसे उसे लखनऊ एनआरएचएम दफ्तर ने 4 रूपए बीस पैसे में खरीदा था। जिसकी सप्लाई प्रदेश भर में हुई। प्रदेश के डेढ़ दर्जन से अधिक जिला आयरन गोली खरीद में हुई धांधली के घेरे में आ चुके। विभागीय जानकारों के मुताबिक वर्ष 2011 में एनआरएचएम के अन्तर्गत स्कूली बच्चों को चिह्नित कर उन्हें आयरन और पेट में कीड़ी मारने वाले दवा खिलानी थी। प्रदेश भर में इसके लिए स्कूल हेल्थ प्रोग्राम संचालित किया गया। योजना में वाल पेंटिंग, बैनर पोस्टर सहित होर्डिंग की सप्लाई भी लखनऊ एनआरएचएम दफ्तर से होना था। इसके साथ ही दवा खरीद के मद में प्रदेश के सभी जिलों के परिवार कल्याण विभाग के सीएमओ बजट भी दिया गया। लेकिन आयरन व पेट में कीड़ी मारने की दवा खरीद का रेट एनआरएचएम दफ्तर से ही निर्धारित होना था। जिसकी सप्लाई के बाद भुगतान जिलों से होने की बात कहीं गई थी। यहां तक की रेट का निर्धारण भी लखनऊ से किया गया। पर आयरन की गोली में खूब खेल किया गया। विभागीय जानकारों के मुताबिक वर्ष 2012 दिसम्बर माह में इस प्रकरण को लेकर सीबीआई की चार सदस्यीय टीम गोरखपुर व बस्ती मंडल के सभी सीएमओ और संबंधित चीफ फर्मासिस्ट व लिपिकों से पूछताछ किया था। जिसमें मालूम हुआ कि वर्ष 2011 में जो आयरन की गाली खरीदी गई उसका रेट कान्ट्रेक्ट मेंं दाम 54 पैसे दस गोली था। लेकिन लखनऊ एनआरएचएम दफ्तर से इस गोली को 4 रूपए 20 पैसे दस गोली के रेट पर खरीद की गई। जिसकी सप्लाई प्रदेश भर में कर दी गई। पर हैरत की बात तो यह है कि इस दवा की कीमत आज भी आरसी में 54 पैसे ही है। जिसकी जांच एक बार फिर तेज कर हो गई। इस मामले में सभी जिलों से वर्ष 2011 में आयरन गोली की खरीद और फर्म का नाम सहित आर्डर की कापी मेल पर मांगी गई है। बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा आयरन की गोली महराजगंज, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, देवरिया और फैजाबाद में हुई थी। वहीं बस्ती में पहले से आयरन की गोली मौजूद होने की वजह से सीधे आरसी से हुई थी। फिर भी इस मद में बजट कहां खपाया गया इस जांच शुरू हो चुकी है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। प्रभारी सीएमओ डा.जितेन्द्र प्रताप ने बताया कि हमारे यहां सभी दवा खरीद का रिकार्ड मेंटेन है। जांच के दौरान जो भी जानकारी मांगी जाएगी उसे उपलब्ध कराया जाएगा। (आशीष शुक्ला)
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