वाराणसी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पंडित जवाहरलाल नेहरू और शरद पवार की जी खोलकर तारीफ की। लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ पर उठे विवाद पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि आडवाणी की तारीफ का मतलब यह नहीं कि वह भाजपा के समर्थक हो गए हैं। वे कटिंग मेमोरियल स्कूल में रविवार को उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक, सामाजिक संस्थान के विमर्श एवं हस्तक्षेप सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि नेता को सच्चा होना चाहिए। उसकी कथनी-करनी एक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की नीतियां अच्छी हैं, लेकिन नेता उन पर चल नहीं पा रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि पूर्वांचल के विकास के लिए जो फैसला इस सम्मेलन के लोग करेंगे उसे पूरा करने की भरसक कोशिश की जाएगी। इस मौके पर उन्होंने बनारस में कलाकेंद्र बनाने का आश्वासन भी दिया। कला केंद्र बनाने का प्रस्ताव मशहूर संगीतज्ञ साजन मिश्र ने रखा था।
मुलायम ने कहा कि आज के दौर में सबसे बड़ा संकट है कि युवाओं के सामने आदर्श उपस्थित करने वाला कोई नेता नहीं है। जब तक छात्र, नौजवान नहीं जागेगा व्यवस्था नहीं बदलेगी। प्रकाश करात को लोहिया की सप्तक्रांतियां याद हैं लेकिन हमारे नेता समानता के इस महामंत्र को भूल गए हैं। महंगाई के मुद्दे पर लोगों को जगाने की जिम्मेदारी हमारी थी पर हम निभा नहीं पाए। महंगाई के मुद्दे पर संसद में पवार ने अच्छा जवाब दिया था, पर वह भी इस मुद्दे पर कुछ कर नहीं पाए।
इसी के साथ उन्होंने पवार को गलत जगह पर तैनात अच्छा आदमी बताया। केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि विदेश नीति विफल है। चीन युद्ध के समय साथ देने वाला श्रीलंका तक आज हमारे साथ नहीं रह गया है। पूर्वांचल जागरूक लोगों का क्षेत्र है। आजादी की लड़ाई में यह इलाका आगे रहा है। यहां के लोग मुझे जितना मान देते हैं, पश्चिम नहीं देता। कांग्रेस से नीतियों से मतभेद हो सकता है पर यह हकीकत है कि स्वतंत्रता संग्राम में नेहरू ने शानदार भूमिका निभाई थी। उनकी लोकप्रियता के चलते ही महात्मा गांधी ने प्रधानमंत्री बनाने के लिए उनका समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जुबान कमजोर होने पर मुल्क कमजोर हो जाता है। दुर्भाग्य है कि हमारे पास आज कोई राजभाषा नहीं है। भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दिए बिना यह नहीं हो सकता।
कार्यकर्ताओं से कहा कि इतिहास को पढ़ें। कहा कि औरंगजेब और अकबर का इस नगरी से रिश्ता रहा है। औरगंजेब ने काशी में कैंप किया था। हिंदुओं को विश्वनाथ मंदिर दर्शन के लिए भेजा था। अकबर की पत्नी जोधा बाई काशी और इलाहाबाद में रहती थीं। सम्मेलन की अध्यक्षता शायर मुनीर बख्श आलम ने की। संचालन प्रो. सत्यमित्र दूबे ने किया। पद्मभूषण छन्नूलाल मिश्र ने स्वागत गान किया। पद्मभूषण साजन मिश्र, काशी विद्यापीठ के कुलपति डा. पृथ्वीश नाग, बालेश्वर राय, वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र, प्रदेश के मंत्री अहमद हसन, अंबिका चौधरी, सुरेंद्र पटेल, विजय मिश्र सहित 11 जिलों के बुद्धिजीवी, उद्यमी, कलाकार मौजूद रहे। (साभार)
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