नई दिल्ली, एनएफए। यूपी के प्रतापगढ़ जिले के कुंडा में डीएसपी जिया उल हक की हत्या उग्र भीड़ के गुस्से का ही नतीजा थी। यूपी पुलिस की थ्योरी पर अब सीबीआई भी मुहर लगाती दिख रही है। जांच एजेंसी किसी अंतिम नतीजे पर तो नहीं पहुंची है लेकिन उसकी प्राथमिक जांच में यही निकला है कि डीएसपी जिया उल हक की हत्या उग्र भीड़ ने ही की। हालांकि सीबीआई सूत्रों का कहना है कि जांच अपने आरंभिक दौर में ही है। सीबीआई ने अपनी शुरुआती जांच में पाया है कि कुंडा के तिहरे हत्याकांड में डीएसपी जिया उल हक की हत्या के पीछे भीड़ की नाराजगी भी हो सकती है।
हो सकता है कि भीड़ ने ही उन्हें पीट-पीट कर मारा हो। गौरतलब है कि दस मार्च को ग्राम प्रधान और उसके भाई की हत्या के बाद मौके पर गए डीएसपी जिया उल हक की भी हत्या कर दी गई थी। हक के परिवार वालों ने कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर हत्या की साजिश का आरोप लगाया था। इस आरोप के बाद राजा भैया ने उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मामले की जांच सीबीआई को सौपे जाने की संस्तुति कर दी थी। उधर, यूपी के प्रतापगढ़ के कुंडा में डीएसपी जिया उल हक की मौत के मामले में सीबीआई ने प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। पीटीआई के हवाले से आई खबर के मुताबिक इस मौत में विधायक रघुराज प्रताब सिंह उर्फ राजा भैया के हाथ के संकेत नहीं मिले हैं। सीबीआई सूत्रों के अनुसार पीटीआई का कहना है कि सीबीआई की प्रारंभिक रिपोर्ट कहती है कि इस हत्या में भीड़ के ही हाथ का अंदेशा है। गौरतलब है कि डीएसीपी जिया उल हक की हत्या उस समय हो गई थी जब वे बलिपुर गांव में कुछ लोगों द्वारा गांव के प्रधान की हत्या की जांच करने गए थे। (साभार)
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